हिंदी विश्व दिवस आया है।
मनो बसंत विश्व छाया है!
देश-देश में बजी दुन्दुभी;
हिंदी - केतन लहराया है!
महाशक्ति करती अगवानी;
हिंदी - गौरव - रथ आया है!
नभ में इंद्रधनुष शोभित हैं;
तोरण द्वार क्षितिज लाया है!
चमके सूरज, चांद, सितारे;
सिंधु धरा पर लहराया है!
नदियां, झीलें, पर्वत गाते;
स्वर्ग उतर वसुधा आया है!
खिली हुई है मधुर चांदनी;
विश्व पटल अति हर्षाया है!
उपवन-कानन सुमन खिले हैं;
हिंदी की अद्भुत माया है!
✍️डा. महेश 'दिवाकर '
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
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