शुक्रवार, 1 जनवरी 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार रेखा रानी की रचना ----हम नव वर्ष में आए हैं


 जीत का यह जश्न देख ख्वाब मुस्कुराए हैं

टूटी सी उम्मीदो ने फ़िर दिए जलाए हैं।

कर्म की इन बस्तियों में गांव फिर  बसाए हैं।

    फिर से मेरी आंखों ने नव स्वप्न  सजाए है

 फिर से मेरे चित्त में यह भाव उभर आए हैं।

 फिर  से इन परिंदों ने पंख नए  पाए हैं।

 गाते -गाते गीत नए आसमां पर आए हैं।

 गुजार कर हसीन वर्ष नव वर्ष में आए हैं।

  हम नव वर्ष में आए हैं।

  सर्द रात है ज़रा ,है बड़ी कठिन डगर।

  सहमी सी है हर दिशा, सहमे -सहमे हैं सज़र।

  मुस्कुराती धीमे-धीमे उस सुबह पर मेरी नजर।

  खूबसूरत  आंखों ने चित्र  वो सजाए हैं।

टूटी सी उम्मीदो ने फिर दिए जलाए हैं।

 कर्म की इन बस्तियों में गांव फिर बसाए हैं।

 गुजार कर हसीन वर्ष नव वर्ष में आए हैं।

  हम नव वर्ष में आए हैं।

 यूं तो और एक वर्ष जिंदगी का कम हुआ।

 पर मेरे तजुर्बे में एक वर्ष और जुड़ा।

 बीते पूरे वर्ष का हर समां हसीन था।

 विषाद युक्त क्षण भी मुझको वहां मिला है सीख का।

 कुछ जुड़ी हैं खट्टी- मीठी यादें हार जीत का।

 रेखा गुन - गुना रही है फिर  गीत अपनी जीत का।

 जीत का यह जश्न देख ख्वाब मुस्कुराए हैं।

✍️ रेखा रानी, गजरौला

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें