अलविदा हुआ दो हजार बीस।
कुछ खट्टी -मीठी यादें दे कर ।
कुछ उलझी -सुलझी सी बातें दे कर ।
कुछ नया हुआ या नही हुआ ।
लॉकडाउन तो एकदम नया हुआ ।
अनुभव दे गया हजारो ऐसे ।
जिनसे सीखने को मिला नया ।
जीना सीखा गया हर परिस्थिति में।
चाहे घर में हो या बाहर हो ।
समय कभी भी बदल सकता है ।
कुल मिला कर बता गया ।
कुछ अपने -पराये दूर हुए , तो
कुछ दूर हो कर पास आये ।
गिले-शिकवे सभी भुला कर ,
कोरोना काल ने मिला दिया ।
जाते -जाते बता गया ,कि
जंग अभी बाकी है ।
आने वाले नए साल का ,
इम्तेहान अभी बाकी है ।
✍️ शोभना कौशिक, मुरादाबाद
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