हर तरफ़ अब प्यार केवल प्यार है
इश्क जब कर ही लिया क्या सोचना
हाथ आती जीत है या हार है
दर्द आँसू और आहें अनगिनत
ये मुहब्बत में मिला उपहार है
नाम जीने का यहाँ पर कर रहा
आदमी कितना हुआ लाचार है
रूप की अब लग रही हैं बोलियाँ
आइये सब सज गया बाजार है
दूर तक दिखती नहीं कोई किरण
देखिये अँधियार ही अँधियार है
रोज कहते हो बहुत विश्वास पर
क्यों खड़ी फिर बीच में दीवार है
लूट , हत्या , भूख से ही जो भरा
देख लो यह आज का अखबार है
हर मुसीबत में दिखाते राह तुम
आपका दिल से 'प्रणय' आभार है
✍️ लव कुमार 'प्रणय'
के-17, ज्ञान सरोवर कॉलोनी, अलीगढ़ .
चलभाष - 09690042900
ईमेल - l.k.agrawal10@ gmail .Com
बहुत सुंदर पंक्तियां💐💐💐👌👌🙏
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