शनिवार, 14 मई 2022

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की ओर से 14 मई 2022 को काव्य-गोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की ओर से मासिक काव्य-गोष्ठी का आयोजन शनिवार 14 मई 2022 को विश्नोई धर्मशाला, लाइनपार में किया गया।

 राम सिंह निशंक द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए योगेंद्र पाल विश्नोई ने देश प्रेम की अलख जगाते हुए कहा - 

यह भारत का मानचित्र है।

 इस पर इस पर गौरव हमें मित्र है।

 वीर भोग्या वसुंधरा है, 

प्रतिपल पावन परम पवित्र है‌। 

मुख्य अतिथि ओंकार सिंह ओंकार ने कहा --

विश्व का बाज़ार जो बारूद का और तेल का है।

 ख़ात्मा जिसने किया संसार में अब मेल का है।

विशिष्ट अतिथि के रुप में इंदु रानी ने मातृ-शक्ति को नमन किया - 

कैसे मैं भूलूं बता, माॅं तेरा उपकार।

 तेरा ही अहसान है, यह मेरा संसार।

 कार्यक्रम का संचालन करते हुए अशोक विद्रोही ने  राष्ट्रप्रेम का संदेश कुछ इस प्रकार दिया -

 हे भारत माता तुम्हें नमन,

 तन मन धन अर्पित कर देंगे। 

एक रोज परम वैभव का पद, 

माॅं तुझे समर्पित कर देंगे। 

वरिष्ठ रचनाकार  कवि वीरेंद्र ब्रजवासी ने समाज के सम्मुख प्रश्न रखते हुए कहा - 

सच कहना सच सुनना ही तो, भारी लगता है‌।

 सच कहना अब सच से ही गद्दारी लगता है।

राम सिंह निशंक की अभिव्यक्ति इस प्रकार थी -

आते झंझावत मगर, उसने स्थिर रहना सीखा। 

हों उजाले अंधेरे उसने है जलना सीखा।

डॉ. मनोज रस्तोगी ने चिंतन-मनन पर बाध्य करते हुए कहा - 

स्वाभिमान भी गिरवी रख 

नागों के हाथ। 

भेड़ियों के सम्मुख 

टिका दिया माथ, 

इस तरह होता रहा 

अपना चीर हरण।

 रचना-पाठ करते हुए राजीव प्रखर ने कहा -

 जीवन के इस डगमग पथ में, 

हर संकट पर भारी पुस्तक।

 बंद पड़ी हूॅं अलमारी में, 

मैं तुम सबकी प्यारी पुस्तक। 

प्रशांत मिश्र का कहना था - 

जीवन तेरा तुझको अर्पण माॅं, 

मैं और अर्पण क्या करूं। 

शुभम कश्यप की अभिव्यक्ति इस प्रकार थी - 

उस सी दौलत न कोई मूरत है। 

माॅं तो भगवान की नेमत है‌।

 रामेश्वर वशिष्ठ द्वारा आभार अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम विश्राम पर पहुॅंचा










::::::प्रस्तुति::::::

अशोक विद्रोही 

उपाध्यक्ष

राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति

 मुरादाबाद,उत्तर प्रदेश, भारत

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