रविवार, 8 मई 2022

मुरादाबाद मंडल के चन्दौसी (जनपद सम्भल) निवासी साहित्यकार रमेश अधीर की ग़ज़ल ----अपने बच्चों की ख़ातिर माँ क्या-क्या खोती है


ममता  का  मोती   श्रद्धा  का   धागा  होती है।

बिन स्वारथ जो सुख देती  वह माता   होती है।


कौन लगा सकता है इसकी अटकल सही-सही,

अपने बच्चों की ख़ातिर माँ  क्या-क्या खोती है।


इतना सच्चा    रिश्ता दूजा   नहीं   जगत् में   है,

दर्द अगर  बच्चों को हो,  माँ आँख  भिगोती है।


सबसे पहले  उठती, चुकती  चौके में  दिन भर,

घर के सब   सो जाते  हैं  तब  माता    सोती है।


सबसे  अव्वल  है  दुनिया  में   माता  का  दर्ज़ा,

जीवन जिससे  जीवन पाता  माँ  वह ज्योती है।

✍️ रमेश 'अधीर'

चन्दौसी, जनपद सम्भल

उत्तर प्रदेश, भारत

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