शुक्रवार, 6 मई 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार मंसूर उस्मानी की ग़ज़ल ...वो भी नयी हवाओं के जंगल में खो गया, बच्चा जो होनहार था एक खानदान में


सच्चाई   क्या   मिलेगी   हमारे   बयान   में

लिखते हैं हम कसीदे सितमगर की शान में


इन्साफ मेहरबानी  मोहब्बत  वफ़ा  ख़ुलूस

मिल जाएं तो बताना मिले किस  दूकान  में


मजलिस से उठ के चल दिए मुंसिफ लिबास लोग

क़ातिल का ज़िक्र  आया  जहाँ  दास्तान  में


वो भी नयी हवाओं के  जंगल  में  खो  गया

बच्चा  जो  होनहार  था  एक  खानदान  में


मंसूर   हर   क़दम   पे   बुराई   के  बावजूद

अच्छाइयाँ   भी   खूब   हैं   हिन्दोस्तान   में।


✍️ मंसूर उस्मानी

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

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