सबके सुख की करे कामना
कितनी प्यारी होती माँ ।
ख़ुद से पहले हमें खिलाती
सबसे न्यारी होती माँ ।
अपने नन्हे बच्चों का माँ
तन-मन से पोषण करती,
जिन्हें सींचकर बड़ा करे वह
घर को ख़ुशियों से भरती ,
हरे-भरे पौधे हों जिसमें
ऐसी क्यारी होती माँ !
चंदा जैसी मधुर चाँदनी
मन में उजियारा करती,
उपवन है फूलों का सुंदर
खुशबू से आँगन भरती,
रंग-विरंगे फूलों वाली
इक फुलवारी होती माँ ।
किसी बुराई से बच्चों को
माँ रखती है दूर सदा,
और विपत्ति में होती है
सहयोगी भरपूर सदा ,
कठिन समय के आ जाने पर
दुख पर भारी होती माँ!!
✍️ ओंकार सिंह ' ओंकार'
1-बी-241बुद्धि विहार, मझोला,
मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) 244001
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