रविवार, 8 मई 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार ओंकार सिंह ओंकार का गीत ---सबसे न्यारी होती माँ


सबके सुख की करे कामना 

कितनी प्यारी होती माँ ।

ख़ुद से पहले हमें खिलाती 

सबसे न्यारी होती माँ ।


अपने नन्हे बच्चों का माँ 

तन-मन से पोषण करती,

जिन्हें सींचकर बड़ा करे वह 

घर को ख़ुशियों से भरती ,

हरे-भरे पौधे हों जिसमें 

ऐसी क्यारी होती माँ !


चंदा जैसी मधुर चाँदनी

मन में उजियारा करती,

उपवन है फूलों का सुंदर 

खुशबू से आँगन भरती,

रंग-विरंगे फूलों वाली 

इक फुलवारी होती माँ ।


किसी बुराई से बच्चों को 

माँ रखती है  दूर सदा,

 और विपत्ति में होती है

सहयोगी भरपूर सदा ,

कठिन समय के आ जाने पर

दुख पर भारी होती माँ!! 

✍️ ओंकार सिंह ' ओंकार'

 1-बी-241बुद्धि विहार, मझोला, 

मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) 244001

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