शनिवार, 7 मई 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ मक्खन मुरादाबादी का गीत ----दंगा कैसे भड़का....


वाक् युद्ध में लगा रहे सब

अपना-अपना तड़का।

पता झूठ को भी है सच का

दंगा कैसे भड़का।


हमसे कथा कहानी में यह

कहा करे थी दादी।

सच होता है शांत भाव का

और झूठ उन्मादी।।

गलियों में उत्पात मचाता

फिरता किसका लड़का ।


मुश्किल से तो विदा हुआ है

भेदभाव का लफड़ा।

पहुँच रही निर्धन घर रोटी

इसका सदमा तगड़ा।।

डाल-डाल तू पात-पात मैं

ध्यान किसे है जड़ का।


आते हैं,सद्भाव बचाने

चले छतों से पत्थर।

इनमें भी अवसर ही ढ़ूँढे

राजनीति की चद्दर।।

उल्लू सीधा हो सबकी ही

अपनी-अपनी फड़ का।


✍️ डॉ. मक्खन मुरादाबादी

 झ-28, नवीन नगर

 काँठ रोड, मुरादाबाद

बातचीत: 9319086769

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