रविवार, 1 मई 2022

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिंदी साहित्य संगम की ओर से रविवार एक मई 2022 को मासिक काव्य-गोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिंदी साहित्य संगम की ओर से मासिक काव्य-गोष्ठी का आयोजन रविवार एक मई 2022 को आकांक्षा विद्यापीठ मिलन विहार में किया गया। 

       राजीव प्रखर द्वारा प्रस्तुत माॅं शारदे की वंदना व संचालन से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रामदत्त द्विवेदी ने कहा ---

किस्मत से अपने आप हम मजबूर हो गए।

 अपने ही खेत में हैं हम, मजदूर हो गए।

मुख्य अतिथि विकास मुरादाबादी ने सामाजिक परिस्थिति का चित्र खींचते हुए कहा - 

हिन्दू व मुसलमान क्यों आपस में लड़ रहे,

 क्यों अपने- अपने धर्म के कसीदे पढ़ रहे।

 भरम त्याग दें, ये सारे धर्म एक ही तो हैं, 

क्यों अपने- अपने धर्म के झण्डे पकड़ रहे।।

    विशिष्ट अतिथि के रुप में वीरेन्द्र ब्रजवासी ने ब्रज की लोक संस्कृति को अपने सुंदर गीत में इस प्रकार अभिव्यक्त किया -

 तन बैरागी मन बैरागी, 

जीवन का हर क्षण बैरागी।

विशिष्ट अतिथि के रुप में नकुल त्यागी ने मजदूर दिवस पर पंक्तियां प्रस्तुत करते हुए कहा - 

मेहनत जिसका कर्म है, मेहनत जिसका मीत। 

भूखे पेट सोता नही,  यह स्वाभिमान की जीत।। 

दिन प्रतिदिन बढ़ती बेरोजगारी के सन्दर्भ गीत प्रस्तुत करते हुए डॉ. मनोज रस्तोगी ने कहा - 

बीत गए कितने ही वर्ष हाथों में लिए डिग्रियां। 

कितनी ही बार जलीं आशाओं की अर्थियां।

 नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम की अभिव्यक्ति इस प्रकार थी - 

द्वंद  हर  साँस  का साँस के संग है। 

हो  रही  हर  समय स्वयँ से जंग है।

भूख - बेरोज़गारी  चुभे   दंश - सी, 

ज़िन्दगी  का  ये  कैसा  नया रंग है। 

 रचना-पाठ करते हुए राजीव प्रखर ने कहा - फिर नारों के शोर में, बहुत दिनों के बाद। मातृ-दिवस पर आ गयी, बूढ़ी माॅं की याद।। क्या तीरथ की कामना, कैसी धन की आस। जब बैठी हो प्रेम से, अम्मा मेरे पास।। 

 जितेन्द्र जौली ने अपनी अभिव्यक्ति में कहा - 

चुपके- चुपके खामोशी से, कुछ हम सबसे कहती है।

 नदिया की पावन धारा जब, धीरे- धीरे बहती है।  






::::::प्रस्तुति::::::

राजीव 'प्रखर'

डिप्टी गंज

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

8941912642

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