रविवार, 8 मई 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता ---- महानता


यह उसकी महानता है

वह अपनी मां को मां मानता है

और इस बात को,सबके सामने

पूरी हिम्मत के साथ स्वीकारता है

वह आज की दुनिया का

एक सफल इंसान है

बड़े बड़े लोगों से

उसकी जान पहचान है

उसकी जिंदगी मशीन हो गई है

आसमां छूने के प्रयास में

पैरों तले की जमीन खो गई है

ये उसका

मां के प्रति प्यार है

मां को भूल नहीं पाता है

चाहें कहीं हो,

कितना भी व्यस्त हो

मातृ दिवस हर साल मनाता है

मां के लिए कुछ ना कुछ

उपहार भी भिजवाता है

महंगे से महंगा उपहार

खरीदने में नही सकुचाता है

इस बार उसने

मातृ दिवस पर एक रजाई भिजवाई

लेकिन वो महंगी रजाई

मां को कोई गर्माहट नहीं दे पाई

रिश्तों का ठंडापन

भौतिकता पर भारी पड़ गया

बेटे की राह देखते

मां की आंखे पथरा गईं

और उसका पूरा वजूद

हमेशा के लिए

एक फ्रेम में जड़ गया।


✍️ डॉ पुनीत कुमार

T2/505 आकाश रेजीडेंसी

आदर्श कॉलोनी रोड

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

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