रविवार, 8 मई 2022

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार मनोरम शर्मा की रचना --ईश्वर का आशीष लिए मां करुणा लगती है


मां का मुखड़ा कैसा भी हो सुन्दर लगता है 

नयन के मृदुलेप सा झर-झर झरना लगता है 


अन्यत्र कोई  और हितैषी जो  मेरा हित चाहे

ईश्वर का आशीष लिए मां   करुणा लगती है 


मेरे कड़वों बोलों का भी  एक पुलिंदा है 

दिन भर क्यों माँ उसे उठाये घूमा करती है 


संघर्षों की घनी धूप में  मां छाया  बनती

रोम-रोम ममता से सिंचित विजया लगती है 


नयन के मृदुलेप सा झर-झर झरना लगता है

मां का मुखड़ा कैसा भी हो सुन्दर लगता है


✍️ मनोरमा शर्मा

अमरोहा 

उ.प्र. भारत

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