सोमवार, 22 मार्च 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष सुरेन्द्र मोहन मिश्र की आज 22 मार्च को पुण्यतिथि है । प्रस्तुत है उनका एक गीत ---अनजाने ज्ञान को सुरक्षित रखने में ही, पुरखों का आंगन बिक जाये, तो क्षमा करना !! यह गीत हमें उपलब्ध कराया है उनके सुपुत्र अतुल मिश्र ने ....


जीवन के लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही,

यदि स्वांसों का ऋण चुक जाये, तो क्षमा करना !!

आधा ही गायन रुक जाये, तो क्षमा करना !!!!


जीवन भर ये खारे आंसू ही बेचे हैं

सपन मोल लेने को,

कनक कन गला बेचे, मिट्टी के, पत्थर के 

रतन मोल लेने को !!


नये पथ बनाने में सुनो, वंशधर मेरे,

कुटिया का तृण-तृण बिक जाये, तो क्षमा करना !!


जब-जब भी पीड़ा से प्राण कसमसाते हैं

गान जन्म लेता है,

जब अपने पथ के ही, पत्थर ठुकराते हैं

ज्ञान जन्म लेता है !!


अनजाने ज्ञान को सुरक्षित रखने में ही,

पुरखों का आंगन बिक जाये, तो क्षमा करना !!


जो कुछ भी गा गये, यहां अनेक चातकगण

मेरा ही क्रंदन था,

यों तो मैं चंदा का चंदन भी छू लेता,

धरती का बंधन का  !!


मेरे जीवन भर के कर्ज़ को चुकाने में,

विधवा का कंगन बिक जाये, तो क्षमा करना !!!!

✍️  सुरेंद्र मोहन मिश्र.

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