ले हाथ आज पिचकारी,
रंग दी साजन ने सारी।
मैं इकली बेचारी,
यूँ लाख सुनाई गारी ।
नहीं आज की बात-
सजन से बार बार में हारी।
ले हाथ ---------------------।।
अपने जैसा कर डाला ,
हा! ज़रा न देखा भाला।
वो दिया प्रेम का प्याला,
कर दिया मुझे मतवाला।
सखियां देती हैं उलाहने,
कितनी है लाचारी।
ले हाथ -----------------।।
आया लेके जो गुलाल,
खुश हो के मुझ पर डाल।
रंगों से कर दे मुझको लाल,
अरमां दिल के सभी निकाल।
इतना रंग दे आज बलम तू ,
देखे दुनिया सारी।
ले हाथ -------------।।
कितना अच्छा मेरा भाग,
साजन के साथ खेलती फ़ाग।
सोये अंग उठे हैं जाग,
सुना दे कोई मीठा राग।
तू है कृष्ण कन्हैया जैसा,
मैं राधा सी प्यारी।
ले हाथ--------------।।
✍️ अशोक विश्नोई, मुरादाबाद
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