गुरुवार, 11 मार्च 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विद्रोही की कहानी -----बस अब और नहीं!


 

     अंजली का वास्तविक नाम अंजू है! ..बहुत ही तीखे नयन नक्श .... बड़ी बड़ी आंखें... आकर्षक  व्यक्तित्व ! ऐसा सांवला रंग कि कोई सांवला कहने की हिम्मत न कर सके !..... परन्तु ये सब अंजू के आकर्षण का कारण नहीं था.....बहुत ही मेहनती ,लगनशील ,आत्मीय ,व्यवहार कुशलता उसमें कुछ ऐसे गुण थे जो उसे दूसरों से अलग पहचान देते थे ! .....उसका अनदेखा अपनापन ,खुलापन, एक ऐसा सम्मोहन जगाता कि जो कोई उससे मिलता उसका हो जाता !    स्टाफ नर्स होने के ये गुण उसे ईश्वरीय देन के रूप मिले थे परन्तु ये गुण ही शायद उसके लिए अभिशाप बन गये..... वह आज मैटर्न बन चुकी है सैलरी होगी 65 हजार .. अंजू की अब तक दो बच्चियां झिलमिल, बुलबुल भी  हो चुकी थीं....
....आज 7 साल हो गये..... 7 साल पहले आज ही के दिन डॉ अनुज की एक एक्सीडेंट  में मृत्यु हो गई थी....... आज सुबह से ही अंजू का मन बहुत भारी हो रहा है.... रह-रह कर उसको डॉ अनुज की ही  याद आ रही है .......... वक्त इतनी तेज रफ्तार से चलता है उसने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन ऐसा भी आयेगा कि उसे अपार प्रेम करने वाला विशेष उसे एक दिन ऐसे  दोराहे पर लाकर खड़ा कर...... देगा .....कि उसे अतीत में खो गये अभिन्न मित्र डॉ अनुज की इतनी कमी खलेगी .......... वक्त हवा की तरह...तेज चला.।     वह जब अपने आपको.....शीशे में देखते हुए सोचती है  .....तो बीता हुआ समय उसे डॉ अनुज की यादों में ही ले जाता है........! ..उसे बीते दिनों की याद फिर से सताने लगती है उसे याद आते है वे दिन जब डॉ अनुज के साथ उसकी बात इतनी आगे बढ़ गई थी कि वह दोनों शादी के बंधन में बंधने जा रहे थे ! परंतु यह खबर डॉ अनुज के माता-पिता के पास पहुंची तो उन्होंने इस विवाह से इसलिए इनकार कर दिया कि वे एक बार प्रेम विवाह की परिणिती देख चुके थे ।
     ....और फिर अंजू का विवाह विशेष के साथ हो गया ।  विशेष को इन दोनों की कहानी पता थी....और उसके माता पिता इस विवाह के लिए तैयार नहीं थे फिर भी खूब सोच समझ के बाद उसने पूरे आग्रह और समर्पण  के साथ अंजू को विवाह प्रस्ताव रखा था.... और इस प्रकार दोनों की शादी सम्पन्न हो गयी थी ।
        हाय री !  विडंबना !! अंजू आज फिर उसी दोराहे पर आकर खड़ी थी... जहां उसको निर्णय लेना था कि वह इस झूठे शादी के रिश्ते को बनाए रखें या तोड़ डाले क्योंकि उसके पति विशेष ने उस पर ऐसे ऐसे घिनोने इल्जाम लगाए.... कि उसकी आत्मा चीत्कार कर उठी ! 
        उसने दोनों बच्चियों को दुख सह कर खुद पाला था ड्यूटी भी निरन्तर की.... शुगर की पेशेंट होते हुए .... गाड़ी अकेले ही खींचना कोई उससे सीखे......इस सब के वावजूद भी उस पर हंटर की तरह जड़े जाने वाले  इल्जामों ने उसका मनोबल बिल्कुल तोड़ दिया.... उसका मन व्यथित था और अब और सहन करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था ।
           उसने विद्रोह कर दिया वास्तविक परिस्थितियों से और ..... स्पष्ट मना कर दिया अब और नहीं  सहेगी......
          विशेष ने उस पर शारीरिक सम्बन्धों के ऐसे ऐसे इल्जाम लगाएं ......कि  बस....! क्या कहना .....      
           उसके पहले के मित्र के साथ ! अन्य मित्रों के साथ ! पड़ोसियों के साथ!  स्टाफ के साथ ! यहां तक कि उसके मित्र डॉ अनुज के पिता का नाम भी अंजू के साथ जोड़ दिया...!
      ....एक पुरुष मित्र  स्टाफ का  6 साल बाद उसके घर आया और सिर्फ 10 मिनट ही बच्चों के साथ रहा  होगा... उसके  साथ भी विशेष ने इल्जाम लगा दिया कि तुम्हारा इसके साथ अफेयर है..... अंजू के ससुराल  वालों ने कभी भी एक पैसे की  कोई सहायता नहीं  की  नैतिक सपोर्ट भी नहीं किया ।
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    .... हार कर उसने निर्णय ले लिया..... तलाक की अर्जी अब अंतिम दौर में आ पहुंची.... तो उसे पूर्व मित्र डॉ अनुज की याद आई .....? जिसका देहांत भी  आज से 7 साल पहले हो चुका था.....  !
   एक ओर जहां दूसरी बेटी को जन्म देते समय अंजू  शुगर बहुत बढ़ जाने के कारण अचेत अवस्था में पड़ी थी .. और उसे विशेष की सबसे ज्यादा जरूरत थी तो ऐसे समय में विशेष उसके पास नहीं था..... बेटी को जन्म दिया तो दूसरी ओर पति बेटे की चाहत के दकियानूसी विचार के कारण वहां से नदारद था ....बस यही उसे बर्दाश्त नहीं हुआ जबकि पति ने कभी भी अपनी कमाई का एक पैसा भी कभी घर में नहीं लगाया ।  घर की कोई भी  जिम्मेदारी नहीं उठाई। ........
आज अंजू को भगवान से बस यही शिकायत है कि कहने को सभी लोग उसे अच्छा कहते है परंतु उसे स्वीकार कोई नहीं करता आखिर क्यों?....
           आज भी क्यों  हमारा समाज पूर्व की तरह दकियानूसी विचारधारा रखता है जो कि बेटी के जन्म पर मंगल गान तो छोड़ो पति तक छोड़ कर चला जाता है भला हो भगवान का कि उसने कम से कम उसे उसकी मेहनत का इतना सिला तो दिया कि एक मजबूत नौकरी तो उसके हाथ में है जिससे अपने बच्चों की गुजर वशर सकती है.... पति के विश्वासघात करने पर उसने मकान तक पति के नाम छोड़ दिया परंतु उसै अब और पति का साथ मंजूर नहीं !
उसने इस पिंजरे से आजादी का मन बना लिया है.....
        विशेष को घर छोडे  हुए 2 साल हो गए हैं ....इस बीच वह अपने घर वालों के साथ उसे मनाने के लिए एक बार  आया भी ! अपनी गलती की माफी भी मांगी कि अब वह फिर से उसके साथ रहने लगे... परंतु आज अंजू का विश्वास उस पर से पूरी तरह उठ गया प्रेम का निरन्तर बहने वाला सोता पूरी तरह सूख चुका हैअब वह उसके साथ रहने को तैयार नहीं।....
         उसने स्पष्ट कह दिया -
"बस अब और नहीं!............"

 ✍️ अशोक विद्रोही,412 प्रकाश नगर, मुरादाबाद, मोबाइल फोन नम्बर 82 188 25 541


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