सोमवार, 29 मार्च 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार हेमा तिवारी भट्ट की रचना -----रंग जो जल से कभी धुलें न, आओ ऐसे रंग लगाएँ


होठों पर मुस्कान बिखेरें,

आँखों में विश्वास जगाएँ।

तुझ में,मुझ में,इस में,उस में

रंग जो भेद करा न पाएँ।

केवल कर में रखे रहें ना

मन के तन पर रच बस जाएँ।

रंग जो जल से कभी धुलें न,

आओ ऐसे रंग लगाएँ।

हेमा तिवारी भट्ट ,मुरादाबाद

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