होठों पर मुस्कान बिखेरें,
आँखों में विश्वास जगाएँ।
तुझ में,मुझ में,इस में,उस में
रंग जो भेद करा न पाएँ।
केवल कर में रखे रहें ना
मन के तन पर रच बस जाएँ।
रंग जो जल से कभी धुलें न,
आओ ऐसे रंग लगाएँ।
हेमा तिवारी भट्ट ,मुरादाबाद
आँखों में विश्वास जगाएँ।
तुझ में,मुझ में,इस में,उस में
रंग जो भेद करा न पाएँ।
केवल कर में रखे रहें ना
मन के तन पर रच बस जाएँ।
रंग जो जल से कभी धुलें न,
आओ ऐसे रंग लगाएँ।
हेमा तिवारी भट्ट ,मुरादाबाद
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