बरसाने की ओ री गुजरिया ,
हमको रंग लगिइयो आय।
ओ कान्हा सुनो बात हमारी ,
धौंस काहू की सहती नाय।
जो चाहो हमरे रंग रंगना,
मोरे पिता से कहियो आय।
इत उत काहे तकते डोलो,
हाथ मांग लियो सीधे आय।
फ़िर भीजैगो तन - मन मेरौ,
श्यामल रंग राधा रंग जाय।
रेखा लेकर प्रेमी पिचकारी,
अमर प्रीत की रीत निभाय।
✍️ रेखा रानी, गजरौला ,अमरोहा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें