गुरुवार, 11 मार्च 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार हेमा तिवारी भट्ट की लघुकथा-----टीस


"आपकी शादी को कितने साल हो गये हैं,ताई जी?",

रमा ने आँगन में ताऊजी का हुक्का तैयार कर रही ताई जी से पूछा।

"दो साल बाद पचास पूरे हो जाएंगे।"ताई ने चिलम में कोयले के टुकड़े रखते हुए बेरुखी से जवाब दिया।

"अच्छा....",रमा ने चहकते हुए कहा,"इसका मतलब है कितना प्यार आप दोनों में।वरना आजकल तो... शादियाँ दस साल भी चल जायें तो बहुत बड़ी बात होती है।"

"प्यार का तो पता नहीं बेटा...,पर इतनी लम्बी शादी चलने में.... संस्कार का बहुत बड़ा हाथ है।अगर आजकल की तरह हमें भी केवल अपने लिए सोचने और हिम्मत के साथ गलत का विरोध करने की छूट होती तो शायद मैं तेरा तायाजी के तानाशाही मिजाज को इतना लम्बा न झेल पाती और शादी के कुछ समय बाद ही तलाक ले लेती। दरअसल ये पूरी जिंदगी तो तेरे ताया की जी हुजूरी में निकल गयी।कभी कभी सोचती हूँ.... क्या दूसरा जीवन होता होगा?अगर नहीं, तो यह जीवन तो मैंने खुद के लिए शादी के बाद कभी जिया ही नहीं,इस बात की टीस हमेशा बनी रहेगी "

रमा अचरज से ताई को देख रही थी और ताई भावशून्य आँखों से हुक्के को।

✍️ हेमा तिवारी भट्ट, मुरादाबाद

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें