गुरुवार, 4 मार्च 2021

वाट्स एप पर संचालित समूह 'साहित्यिक मुरादाबाद ' में प्रत्येक मंगलवार को बाल साहित्य गोष्ठी का आयोजन किया जाता है । मंगलवार 2 मार्च 2021 को आयोजित गोष्ठी में शामिल साहित्यकारों वीरेंद्र सिंह बृजवासी, श्रीकृष्ण शुक्ल, डॉ रीता सिंह, राजीव प्रखर, वैशाली रस्तोगी, रेखा रानी, अशोक विद्रोही और डॉ शोभना कौशिक की कविताएं ......


आकर बैठ गई  खिड़की पर,

झबरी        बिल्ली       रानी,
सूंघ  रही  थी  कहाँ  रखी  है,
चिकिन,   मटन,   बिरियानी।

सारे  घर  में   दौड़   दौड़कर,
हारी         बिल्ली        रानी,
हाथ न आया कुछ भी उसके,
मुख  में      आया       पानी।

लेकिन झबरी  बिल्ली ने भी

दिल    से   हार    न    मानी,
फ्रिज से आती हुई महक को,
वह     झट     से    पहचानी।

लगी  खोलने डोर  फ्रिज का,
पंजों         से      अभिमानी,
फूलदान गिर गया  ज़मी  पर,
जागी        बिटिया       रानी।

पूंछ  दबाकर  भागी   बिल्ली,
भूल          गई      बिरियानी,
कूद  गई   खिड़की   से  नीचे,
पकड़     न      पाई      नानी।

✍️वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी,मुरादाबाद/उ,प्र,मोबाइल फोन नम्बर- 9719275453
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देखो मैं भी बड़ा हुआ हूंँ।
बिना सहारे खड़ा हुआ हूंँ।।

अपने काम स्वयं करता हूंँ।
ख़ुद खाता हूँ खुद पीता हूँ।

कक्षा में रहता हूँ आगे।
खेल कूद में भी अव्वल  हूंँ।

माँ पापा को तंग न करता।
होमवर्क भी खुद करता हूंँ।

सबकी ही इज्जत करता हूँ।
नहीं किसी से मैं डरता हूँ।

अब मुझको बच्चा मत समझो।
काम बड़ों जैसे करता हूँ।।

✍️ श्रीकृष्ण शुक्ल, MMIG-69, रामगंगा विहार,
मुरादाबाद 244001
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बोली चिड़िया डाली डाली

कर लो उपवन की रखवाली
पहले शिकार बस मैं ही थी
अब पात पात भी चुन डाली ।
बोली चिड़िया......

गिन गिन काटे तरुवर सारे
लूट लिये सब चमन हमारे
देखो कैसी दशा हुई है
सूखे में बदली हरियाली ।
बोली चिड़िया.......

बहुत हो गया अब मत काटो
खेत वनों को और न छाँटो
बने शिकारी जाल बिछाया
हर ली अपनी ही खुशहाली ।
बोली चिड़िया.....

✍️ डॉ रीता सिंह,मुरादाबाद
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दादी लड्डू बना रही हैं,
उनका हाथ बँटाते दद्दू।
उछल कूद करते बच्चों को,
पल-पल डाँट पिलाते दद्दू।

घनी रात सबके सोने पर,
जब चौके में ताला होता।
आँख मारकर तब चिन्टू को,
तरकीबें लड़वाते दद्दू।

दादा-पोते की फुस-फुस से,
जब सारा घर उठकर बैठे।
नकली खर्राटे भर-भर कर,
सबको फिर भरमाते दद्दू।

दादी लड्डू बना रही हैं,
उनका हाथ बँटाते दद्दू।
उछल कूद करते बच्चों को,
पल-पल डाँट पिलाते दद्दू

✍️ राजीव 'प्रखर', मुरादाबाद
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बच्चों देखो होली आई
रंग बिरंगी होली आई
प्यार के रंग, संग लेकर आई
लाल ,गुलाबी नीला पीला
ना कोई तेरा ना कोई मेरा
भेद मन के मिटाने आई
एक रंग में होना तुम
पानी गुब्बारों में भरकर
सबको खूब भिगोना तुम
नाचना ,गाना ,मस्ती करना
खूब हँसी ठिठोली करना
अम्मा, बाबा को तुम रंगना
ताऊ,चाचा से ना डरना
ये बचपन है, कर लो मस्ती
प्रौढ अवस्था इसको तरसती
बच्चों देखो होली आई
रंग बिरंगी होली आई ।

✍️वैशाली रस्तौगी , जकार्ता (इंडोनेशिया)
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हम सारे बेसिक के बच्चे
हर दम मौज मनाते हैं।
खेल - खेल में जीवन के
अध्याय सीखते जाते हैं।
  सुबह की बेला में हम सीखें,
ईश का वंदन करना।
राष्ट्र गान  से हम सब सीखें,
देश प्रेम में रंगना।
प्रेरक प्रसंग संग- संग उसके
जीवन आदर्श सिखाते हैं।
खेल - खेल में जीवन के
अध्याय सीखते जाते हैं।
रोचक गतिविधियों से सीखें,
कठिन पाठ को पढ़ना।
गुरुओं के व्यवहार से सीखें,
प्रेम सभी से करना।
सबके संग में भोजन करना,
सम व्यवहार सिखाते हैं।
खेल - खेल में जीवन के,
अध्याय सीखते जाते हैं।
टन टन बजती घंटी देखो,
नित बदलाव सिखाती है।
हर दिन की यह भोजन तालिका
पौष्टिकता को  दर्शाती है।
खाकर पौष्टिक भोजन,
नित  ताकतवर बन  जाते हैं।
खेल - खेल में जीवन के,
अध्याय सीखते जाते हैं।
बाल संसद, मीना मंच,
करतब नए सिखाती हैं।
कार्य विभाजन,नियमानुशासन,
जीवन आयाम सिखाती हैं।
रेखा पढ़कर जीवन में,
हम आगे बढ़ते जाते हैं।

✍️ रेखा रानी
विजय नगर गजरौला
जनपद अमरोहा
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कोहरा छंटा शीत हट गया,
      मौसम ने फिर ली अंगड़ाई।
ऊनी वस्त्र उतारो भाई,
        देखो देखो गर्मी आई  ।।

हवा बसन्ती तेज चल रही,
        जाती सर्दी हाथ मल रही।
रंग बिरंगे पुष्प खिले हैं,
        बृक्षों को नव बस्त्र मिले हैं।।
कैसी फूल रही अमराई,
        देखो देखो गर्मी आई  ।।

बच्चे दिन भर शोर मचाते,
         नहाने से अब न घबराते।
बिना उठाये ही उठ जाते,
          सुबह सवेरे दौड़ लगाते।।
सुस्ती सबने दूर भगाई,
           देखो देखो गर्मी आई  ।।

विद्यालय भी शुरू हुए हैं,
     कड़क सभी फिर गुरु हुएं हैं।
विषय सभी तैयार करो अब,
     बस पढ़ने में लग जाओ सब!!
निकट परीक्षा की तिथि आई,
           देखो देखो गर्मी आई  ।।

अब न चलेगा कोई बहाना,
           पढ़ने में मन खूब लगना।
किसी विषय को भूल न जाना,
         अंक सभी में अच्छे लाना।।
तभी सिद्ध हो सब चतुराई,
             देखो देखो गर्मी आई  ।।

✍️अशोक विद्रोही , 412 प्रकाश नगर, मुरादाबाद, मोबाइल फोन नम्बर 8218825541
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मौसम ने ऐसी पलटी खाई ।
जाड़ो की हो गयी विदाई ।
गर्मी रानी झट से आईं।
    देखते -देखते टोपे मोजे उतर गए ।
    पंखे कूलरों के दिन बहुर गये ।
    चिंटू ,मिंटू ,बिंटू के दिन सवर गये ।
ठंडा शर्बत और नारियल पानी ।
साथ में लस्सी की बात निराली ।
चाहे जितनी भी बत्ती रुलाती ।
गर्मी की दोपहर ही हमें तो भाती।
      जब चाहे मर्जी तब तुम नहाओ ।
      साथ में पाउडर की खुशबू उड़ाओ
      सूझे जो कोई शरारत तुम्हें।
      पाउडर गिरा -गिरा कर ।
     फर्श पर फिसल जाओ ।
न मम्मी की डांट की चिंता ।
न पापा का डंडा याद है ।
याद है तो बस इतना ।
कि, अब गर्मियों का राज है ।

✍️डॉ शोभना कौशिक, बुद्धिविहार, मुरादाबाद

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