शुक्रवार, 5 मार्च 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार राशि सिंह की लघुकथा ---इतना आसान कहाँ ...

     


शुभि ने जल्दी जल्दी सारा घर का काम निपटाया और तैयार होकर सोफे पर बैठकर छोटे बेटे कुणाल की स्कूल शर्ट का बटन टाँकने लगी , साथ ही मन में कल की घटना भी उसको रह रह कर याद आ रही थी ।

​सोचने लगी "आजकल के बच्चे भी न ....पता नहीं क्या होता जा रहा है ?"

​कल सान्या उसकी बेटी का बर्थडे था , बस बच्चों को तो मौका मिल गया गिफ्ट का फिर भले ही उसकी जरूरत हो या न हो ।

​"मॉम मुझे इस बार कुछ नया गिफ्ट  चाहिए ....जो मेरी किसी फ्रेंड के पास नहीं हो ।"बेटी ने ठुनकते हुए कहा  था ।

​"मगर बेटा ...किसी की होड़ थोड़े ही करते हैं ...जिसकी जरूरत हो ....।"

​"मॉम प्लीज यह जरूरत वाली बात मुझे अच्छी नहीं लगती ....डैड देखो न मम्मा ...l"

​"ठीक तो कह रही है तुम्हारी मम्मी ।"सूरज ने भी डरती हुई आवाज में कहा ।

​"बस रहने ही दो मुझे नहीं जाना आपके साथ मार्केट ...।"चिढ़ते हुए सान्या ने कहा और पैर पटकते हुए मॉल से बाहर  भाग गई l

"​सान्या.........।"दोनों आवाज देते रह गए l

​"क्या जरूरत थी उसको ज्ञान देने की ?"सूरज का भी मूड खराब हो गया ।

​"आप भी न ....चढ़ा लो इस लड़की को सिर पर ...क्या समझाना बुरी बात है ?"शुभि ने चिढ़कर कहा l

​"नहीं ...मगर अब कुछ माँग रही है तो देना ही होगा l"

​"और क्या देना ही होगा ...डिमांड तो रोज बढ़ती ही जा रहीं हैं दोनों की ...सुर भी तो कुछ कम नहीं ।"

​"अभी तो दोनों आठवीं और दसवीं कक्षा में हैं ...पता नहीं आगे क्या होगा ?"शुभि ने संदेह व्यक्त करते हुए कहा l

​"शुभि तुम क्यों परेशान हो ....आजकल पेरेंट्स होना कोई इतना आसान नहीं ...हमारे तुम्हारे जैसा जिनके लिए माँ बाप की बात मानना भगवान की बात से भी ज्यादा अवश्य था ।"

​तभी दरवाजे की घंटी बजती है तब शुभि की तंद्रा भंग होती है और  वह उठकर दरवाजा खोलती है l

​"अरे आप तो तैयार हैं ....मैँ अभी रेडी होकर आती हूँ ।"

​सान्या ने बैग सोफे पर पटकते हुए कहा l

​अपनी जीत पर सान्या बहुत खुश जो थी आखिर पेरेंट्स को हरा जो दिया था ।

​रात खाना तभी खाया जब आज वह जो चाहेगी वह दिलाना पड़ेगा l

​✍️ राशि सिंह, मुरादाबाद उत्तर प्रदेश 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें