गुरुवार, 4 मार्च 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विद्रोही की कहानी --हादसा.....


 .... दहेज की बलि बेदी पर चढ़ गयी बेटी की भेंट !  लोभी दरिंदों ने आठ दिन तक अन्न का एक भी दाना नहीं दिया...बन्द कमरे में भूखी प्यासी मार दिया....!

      थाने पहुंचे मम्मी-पापा . पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रिपोर्ट आयी पेट में पिछले आठ दिनों से कुछ भी नहीं गया...परन्तु इसे पुलिस हत्या का सबूत नहीं मान रही पुलिस दुनिया भर के सबूत मांग रही है ....चक्कर लगा लगा कर थक गये ...अब पुलिस रिश्वत  भी चाहती है...दो और जवान बेटियां घर में क्वारी बैठीं हैं....! माली हालत भी ठीक नहीं है... कार्रवाई रोकने के लिए लड़के वालों से मिली मोटी रकम के बाद पुलिस कार्यवाही कैसे करे  ?......

   ....कैसी विडम्बना है  ? एक तो ज़िगर का टुकड़ा गया .... अपराधी स्वतन्त्र घूम रहे हैं ! ऊपर से रिश्वत दोगे तभी एफ आई आर दर्ज होगी...!

     .....सरवेस.... हिम्मत हारने लगा था थक चुका था भाग दौड़ करते करते...... परन्तु जब घर लौट कर घर में घुसता तो बेटी की फोटो का सामना नहीं कर पाता और लड़ने के लिए न जाने कहां से शक्ति आ जाती......दिन यूं ही गुजरते जा रहे थे.....

.......तब ही एक दिन अचानक अखबार पढ़ते पढ़ते सरवेस ड्यूटी छोड़ कर घर की ओर दौड़ा जाकर पत्नी को अखबार दिखाया.....

.......लिखा था 'भयानक हादसा एक ही घर के तीन लोगों की मौत'

कार और डंपर की भयानक टक्कर में कार बुरी तरह क्षति गस्त हो गई और उसमें बेटा मां और बाप की मृत्यु हो गई....

.....ये बेटी के सास ,ससुर और पति ही थे.....

✍️ अशोक विद्रोही, 412 प्रकाश नगर, मुरादाबाद, मोबाइल फोन नम्बर 8218825541

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