शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ श्वेता पूठिया की लघुकथा -----समझ


सोनल बहुत सुन्दर थी।बचपन से ही अपनी सुन्दरता के कारण वह सभी की प्रंशसा पाती रही।उसे भी अपने रुप का अभिमान हो चला था।

        शादी के बाद भी उसका वही स्वभाव रहा।पति प्रवीण शुरू मेंं उसके रुप से प्रभावित रहा। व्यवहार की कमी को अनदेखा करता रहा मगर जल्द ही रूप की चमक व्यवहार के कारण दबती गयी।जिस वह बीमार सास को घर मेंं अकेले घर मे छोडकर ब्यूटी पार्लर गयी उस दिन घर लौटे प्रवीण का गुस्सा सातवेंं आसमान पर पहुंच गया और उसने चेतावनी दे डाली।वह गुस्से मे घर छोडकर मां के घर आ गयी।

        आज छह माह बीत गये।मां पिता ने समझाया मगर वह न मानी।दिन बीतते गये अकेलेपन ने उसे बहुत कुछ सिखा दिया।आज करवा चौथ का दिन  है। वह प्रवीण को बहुत याद कर रही थी। सोचते सोचते वह उठ खडी हुई तैयार होकर बोली,"मां मै अपने घर जा रही हूँ"।उसे अपनी गलती समझ आ गयीं थी।वह जल्द से जल्द  अपने घर पहुंचना चाहती थी।


✍️ डा.श्वेता पूठिया, मुरादाबाद

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