रविवार, 27 दिसंबर 2020

भारतीय जनता पार्टी सांस्कृतिक प्रकोष्ठ महानगर मुरादाबाद उत्तर प्रदेश द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री स्मृतिशेष अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर "अटल काव्य महोत्सव "का आयोजन

      भारतीय जनता पार्टी सांस्कृतिक प्रकोष्ठ महानगर मुरादाबाद उत्तर प्रदेश द्वारा भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री स्मृतिशेष अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस की पूर्व संध्या  24 दिसम्बर 2020 को अटल काव्य महोत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अनुभा गुप्ता  द्वारा की गई। संचालन महानगर संयोजिका डॉ प्रेमवती उपाध्याय द्वारा किया गया।सरस्वती वंदना अशोक विद्रोही विश्नोई द्वारा प्रस्तुत की गई। मुख्य अतिथि एमएलसी डॉ जयपाल सिंह व्यस्त  रहे। विशिष्ट अतिथि फक्कड़ मुरादाबादी एवं श्री कृष्ण शुक्ल रहे।   

   कार्यक्रम में डॉ. प्रेमवती उपाध्याय ने गीत प्रस्तुत किया--

चंदन है इस देश की माटी आओ नमन करे


अशोक विद्रोही की रचना थी-

ध्रुव  तारे  से तुम रहे अटल।

हर राजनीति में रहे सफल।।

मन में था राष्ट्रप्रेम निश्चल।

और ह्रदय रहा पावन निर्मल।।


महाराजा हरिश्चंद्र महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ . मीना  कौल ने कहा ---

दुनिया के सरोवर में 

खिला अटल सा एक कमल

रूप रंग और सुगंध 

सुंदर सजल सरल


श्री कृष्ण शुक्ल ने पढ़ा-

मौत से रही ठनी, चली रही तनातनी।

काल के कपाल पर, चल रही थी लेखनी

यकायक जीवन का ज्योति दीप बुझ गया

युगपुरुष चला गया, शून्य व्याप्त हो गया ।

भारती की गोद का एक लाल सो गया ।


राजीव 'प्रखर' ने मुक्तक प्रस्तुत किया --

जगाये बाँकुरे निकले नया आभास झाँसी में।

वतन के नाम पर छाया बहुत उल्लास झाँसी में।

समर भू पर पुनः पीकर रुधिर वहशी दरिन्दों का,

रचा था मात चण्डी ने अमिट इतिहास झाँसी में


प्रशांत मिश्र ने अपनी ओजस्वी वाणी से आह्वान किया --

एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते, 

स्वतंत्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा

       

डॉ. सरिता लाल का स्वर था ---

वक्त की पुकार सुन जरा

कदमों की चाल सुन जरा

कोई नया इतिहास रच रहा

हर बदलते पल को सुन जरा.


डॉ. सुगंधा अग्रवाल ने अटल जी की रचना प्रस्तुत की----

आदमी को चाहिए कि वह जूझे

 परिस्थितियों से लड़े ,

एक स्वप्न टूटे तो दूसरा गढ़े।

 किंतु कितना भी ऊंचा उठे,

 मनुष्यता के स्तर से ना गिरे


प्रवीण राही ने कहा ---

देशभक्ति काआपने दिया हमें पैगाम

अटल बिहारी आपको कोटि-कोटि प्रणाम।


हेमा तिवारी भट्ट की रचना थी---

विमल सादगी,सज्जनता,मानव रहे तुम अति विरल।

कुशल वक्ता,ओजधारी,बने सबके सखा निश्छल


डॉ मनोज रस्तोगी ने गीत प्रस्तुत किया ---

फैल गई काली स्याही सम्बन्धों पर

बारूदी  थैले   टंग गये  कंधों पर।।

     

 हास्य व्यंग्य कवि फक्कड़ मुरादाबादी ने अपनी रचनाओं से देरतक गुदगुदाया।  डॉ सीमा शर्मा, सुधीर गुप्ता, एस एन सिंह आदि ने भी विचार व्यक्त किये।












































::::::::::::प्रस्तुति:::::::::::

डॉ प्रेमवती उपाध्याय

महानगर संयोजिका ,भारतीय जनता पार्टी,  सांस्कृतिक प्रकोष्ठ मुरादाबाद

              

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