अच्छे खासे भले मनुज थे,
ढोर हो रहे हम।
मम्मी घर के अंदर अंदर,
बोर हो रहे हम।
सुबह-सुबह नित उठकर हम,
स्कूल को जाते थे।
मनचाहा टिफिन भी तुमसे,
पैक कराते थे।
आँखों में दिन वही रुपहले,
दिखते हैं हरदम।
लैपटॉप पे,मोबाइल पे,
अब क्लास चलती।
समझ नहीं आता है कुछ भी,
और आँख दुखती।
जिनसे दूर रहो कहती थी,
उनकी कैद में हम।
जाने कब ये सड़ू करोना,
हमको बख्सेगा।
घर से बाहर बिना डरे ही,
मन ये नाचेगा।
बस जल्दी से दिन वो लौटे,
डाँटे फिर मैडम।
✍️ हेमा तिवारी भट्ट,मुरादाबाद
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तितली ने बच्चों को बोला
बहुत दूर मत जाना तुम
मेरे साथ -साथ ही उड़ना
ज्यादा मत इठलाना तुम।
माना फूलों की बगिया है
संग - संग कांटे भी हैं
वैरी कीटों की नीयत को
कभी नहीं झुठलाना तुम।
प्यारे - प्यारे पंख हमारे
फूलों से भी सुंदर हैं
उड़ते- उड़ते आसमान में
आपस में बतियाना तुम।
चुपके - चुपके सारे बच्चे
कभी पकड़ने आएं तो
दूर हवा में झटपट उनको
उड़ करके दिखलाना तुम।
सुंदरता पर मोहित होना
जग की रीत निराली है
हमअच्छे तो सब अच्छे हैं
बच्चों को सिखलाना तुम।
फूलों सा मुस्काना हरपल
सबसे अच्छा होता है
सुंदर- सुंदर पंख हिलाकर
सबका दिल बहलाना तुम।
✍️ वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, मुरादाबाद/उ,प्र,
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प्यारी चिड़िया,
तुम्हें देखकर,
आयी मम्मी याद।
दाना-दाना,
चुग कर तुमने,
घर है एक बनाया।
और चिरौटों,
को मेहनत से,
उड़ना खूब सिखाया।
यह नन्हा सा,
उपवन अपना,
तुमसे ही आबाद।
प्यारी चिड़िया,
तुम्हें देखकर,
आयी मम्मी याद।
नित्य तुम्हारा,
सुबह जगाकर,
मीठे गीत सुनाना।
और व्यवस्थित,
दिनचर्या का,
मोल हमें समझाना।
छिपा तुम्हारी,
चीं-चीं में है,
एक सुरीला नाद।
प्यारी चिड़िया,
तुम्हें देखकर,
आयी मम्मी याद।
✍️ राजीव 'प्रखर', मुरादाबाद
मो. 8941912642
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सुनो कथा ये बड़ी पुरानी
राजा राम की,सीता रानी।
लक्ष्मण जैसे जिनके भाई
कौशल्या थीं उनकी माई।
दशरथ नंदन राजा राम
अवधपुरी है जिनका धाम।
घट -घट में बसते हैं राम
जन -जन के स्वामी हैं राम।
हनुमान के हृदय में बसते
कष्टों में भी जो थे हँसते।
जाकर रावण को मारा था,
धरती का भार उतारा था।
दिल से बोलो जय श्रीराम
बनेंगे पल में बिगड़े काम।।
✍️ मीनाक्षी ठाकुर, मुरादाबाद
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कितने सुंदर प्यारे प्यारे
रंग बिरंगे फूल निराले
खुशबू से महकाते जग को
नई राह दिखाते सबको
कितने सुंदर प्यारे प्यारे ़़़़़
कांटो में रहकर भी हर पल
मुस्कुराते रहते है हरदम
विपत्तियों में भी खिलखिलाना
सिखलाते रहते हैं हर क्षण
कितने सुंदर प्यारे प्यारे़़़़़
गुलाब, गेंदा, सूरजमुखी, गुड़हल
मोगरा, चंपा, चमेली, कमल
हर कर्म धर्म में नियमित शामिल
जिंदगी में रंगों की देते बहारे
कितने सुंदर कितने प्यारे
रंग बिरंगे फूल निराले
✍️ मीनाक्षी वर्मा, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
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मेरी जान से प्यारी गुड़िया
मेरी जग से न्यारी गुड़िया
सबसे पहले सोकर उठती
साफ सफाई विस्तर करती
झाड़ू रोज लगाती गुड़िया
नींद से मुझे उठाती गुड़िया
दांतों में नित् मंजन करती
नैनों में नित अंजन करती
रूठूँ तो मुझे मनाती गुड़िया
ऐसी सखी -सहेली गुड़िया
छप-छप करती नहाती है
नित-नित करती खाती है
कभी न मुँह चिढ़ाती गुड़िया
सबका मन बहलाती गुड़िया
गुड़िया की जब शादी होती
गुड्डे की तब शहजादी होती
कार सवार हो जाती गुड़िया
सबको खूब रूलाती गुड़िया
मेरी जान से प्यारी गुड़िया
सारे जग से न्यारी गुड़िया
दुष्यंत 'बाबा'
पुलिस लाइन, मुरादाबाद
मो-9758000057
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आओ सुनाए एक कहानी ।
जिसमे राजा था ,न रानी ।
कुछ बच्चों की टोली थी ।
खूब ठिठोली होती थी ।
दौड़ -भाग वो खूब मचाते ।
हाफँ-हाफँ कर थक जाते ।
साथ होता उनका सब काम ।
झगडा हो या मेल-मिलाप ।
यार वो दिल के सच्चे थे ।
बच्चे दिल के अच्छे थे ।
✍️ डॉ शोभना कौशिक, मुरादाबाद
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समझ नहीं आता है हमको
ये कैसा हंगामा है
तीन फुटे राजू ने पहना
चार फुटा पाजामा है
पांव नहीं है जूते लेकिन
सिर पर हैट लगाया है
छोटी छोटी आंखो पर
चश्मा खूब चढ़ाया है
ना तो कोई सपना है ये
और ना कोई ड्रामा है
बाजार गए मम्मी पापा
इसीलिए हंगामा है
डॉ पुनीत कुमार
टी 2/505
आकाश रेजिडेंसी
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
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हिंदी मेरी सबसे प्यारी,
मातृ भाषा है यही हमारी,
इसी से हमने सीखी बोली,
यह भाषा है सबसे न्यारी।
सब मिलकर यह जतन करो,
बन जाये यह राज दुलारी।
काम नही यह कुछ भी भारी,
करलो इससे पक्की यारी।
सब बोलो यह बारी बारी,
हिंदी मेरी सबसे प्यारी।
✍️ कमाल ज़ैदी 'वफ़ा'
प्रधानाचार्य,
अम्बेडकर हाई स्कूल
बरखेड़ा (मुरादाबाद)9456031926
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नन्हे पौधे हरे भरे तुम
कितनी खुशियाँ देते हो
मन को अच्छे लगते मेरे
सबको सब कुछ देते हो
मंद-मंद बहती समीर में
क्रीड़ा-कौतुक करते हो
सूर्य रश्मियाँ पी झट से
ताकत अपनी पाते हो।
मेरे मन को अच्छे लगते
सुख संगत भर जाते हो।
रंग -बिरंगी हँसी हंसते
चटक-चटक खिल जाते हो
सारे जग की हाला पीकर
मधुशाला बन जाते हो।
कितने मन को अच्छे लगते
उमंग सदा भर जाते हो।
हरे भरे मौसम की बाला
मारक हाला मन -प्याला
साकी कितना मतमाला
गीत मौज के गाते हो ।
मेरे मन को अच्छे लगते
नव पल्लव मुस्काते हो ।
तुमसे ही जग में चेतनता
जीवन प्राण भरे रहते
खुशियां मानो तुमसे ही है
वसुधा पर ना रह पाते ।
मेरे मन को अच्छे लगते
प्राण जनक तुम कहलाते ।
✍️ मनोरमा शर्मा , अमरोहा
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छोटू बोला दादा जी से मैं भी एप बनाऊंगा।
कंप्यूटर का कोर्स करूंगा, प्रोग्रामर बन जाऊँगा।।
बड़े बड़े उलझे कामों को, झट से पूरा कर दे जो।
सबको आसानी हो जाए, वो प्रोग्राम बनाऊँगा ।
तब समझाया दादाजी ने खूब लगन से आप पढ़ो।
प्रतिभा को अपनी चमकाओ, फिर जीवन में खूब बढ़ो।
✍️ श्रीकृष्ण शुक्ल
MMIG 69, रामगंगा विहार,
मुरादाबाद ।
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आओ चलें वनों की ओर
जहाँ सुरीली होती भोर
खग समूह मिल सुर लगाते
खोल पंख उमंग दिखाते
नाचे मस्ती में है मोर ।
आओ चलें वनों की ओर ।।
प्रथम पहर में रवि किरण ने
नरम धूप की पकड़ी डोर
पात चमक उठे ज्यों झालर
उछल रहे पेड़ पर वानर
एक छोर से दूजे छोर ।
आओ चलें वनों की ओर ।।।
दिन दहाड़े गज चिंघाड़े
भालू बजा रहे नगाड़े
मृग नाचते ता ता थैया
मनहु सब हैं भैया भैया
चारों ओर खुशी का शोर
आओ चलें वनों की ओर ।
घूम रहे सिंह गरजते
सब जीव दल जान बचाते
कहीं शिकार कहीं शिकारी
सोच एक से एक भारी
लगी जीतने की है होर ।
आओ चलें वनों की ओर ।।
✍️ डॉ रीता सिंह
असिस्टेंट प्रोफेसर
एन के बी एम जी कॉलेज ,
चन्दौसी (सम्भल)
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