कुुुुुहरा धरता ही रहा, रोज़ भयंकर रूप ।
जीवन में तहज़ीब-सी, कहीं खो गई धूप ।।
कुहरा फिर करने लगा, सड़कों पर उत्पात ।
झोंपड़ियाँ डरने लगीं, सहम गए फुटपाथ ।।
ठिठुरन,कुहरा लिख रहे, रोज़ नया अध्याय ।
इनसे बचने के सभी, निष्फल हुए उपाय ।।
रोज़ कुहासा पढ़ रहा, सर्दी का अखबार ।
ठिठुर-ठिठुर कर मौत से, गई ग़रीबी हार ।।
कुहरे ने जब धूप पर, पाई फिर से जीत ।
सर्दी भी लिखने लगी, ठिठुरन वाले गीत ।।
रौद्ररूप दिखला रही, सर्दी अबकी बार ।
स्वस्थ,मस्त हैं कोठियाँ, झोंपड़ियाँ बीमार ।।
ठिठुरन भी धरने लगी, रोज़ भयंकर रूप ।
रिश्तों में अपनत्व-सी, कहीं खो गई धूप ।।
विजयी सूरज का हुआ, सभी जगह सत्कार ।
सुबह-सुबह जब गिर गई, कुहरे की सरकार ।।
छँटा कुहासा मौन का, निखरा मन का रूप ।
रिश्तों में जब खिल उठी, अपनेपन की धूप ।।
✍️ योगेन्द्र वर्मा 'व्योम'
मुरादाबाद. मोबाइल- 9412805981
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कृषक आज आंदोलनरत है, निज हित अनहित से अन्जान ।
जो खेतों में श्रम करता था, आज सड़क पर पड़ा किसान।
कृषि प्रधान है देश हमारा, रखे अन्नदाता का मान।
हरित क्रांति लाकर किसान भी, देता है अपना प्रतिदान।
खेतों में सोना उपजाता, अपने श्रम से सदा किसान।
किंतु न उचित मूल्य मिल पाता, इसका कोई करे निदान।
इसीलिए कृषि बिल आया है, कृषक मूल्य पाये भरपूर।
जहाँ मूल्य पूरा मिलता हो, विक्रय करे वहीं खाद्यान्न।।
किंतु विपक्षी राजनीति ने, खूब भर दिये उसके कान।
और जरा सी नासमझी में, धरने पर है आज किसान ।।
बिल वापस लो अड़े हुए हैं, बंद किये सारे संवाद।
प्रभु इनको सद्बुद्धि आये, निकले इसका शीघ्र निदान।।
✍️ श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद ।
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सूरज की पहली किरण
उतरी जब छज्जे पर
आंगन का सूनापन उजलाया
गौरैया ने गुनगुन गा
फैलाए अपने पर
एक मीठा सपना याद दिलाया
चंदन से महकी दिशाएं
पूरवा ने ली अंगड़ाई
कुह कू कुह कू की ध्वनि
से गूंज उठी अमराई
लान में खेले सतरंगी
फूलों के अधरों पर
गीतों का स्वर लहराया
✍️ डॉ मनोज रस्तोगी
8, जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल 9456687822
Sahityikmoradabad.blogspot.com
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आओ कोई गीत लिखें ,
अपनी-अपनी प्रीत लिखें ।
करें कल्पना
हम स्वप्न बुनें ,
कली खिलायें
शूल चुनें ,
एक नई हम रीत लिखें ।
दर्द सहें
कुछ रंग रचें ,
खुशियां बाटें
सजे -धजे ,
आज कही मनमीत लिखें ।
सांझ ढल रही
दीप जले ,
शलभ उड़ रहे
पंख जले ,
हार कहीँ , तो जीत लिखें ।
शब्द जुटायें
गीत गढ़े ,
आराध्यों पर
पुष्प चढ़ें ,
ग्रीष्म नहीं, हम शीत लिखें ।
आओ कोई गीत लिखें ।।
✍️ अशोक विश्नोई
डी०12, अवन्तिका कॉलोनी
मुरादाबाद
मो० 9411809222
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चतुष्पदी
फिर विटप से गीत कोई अब सुनाओ कोकिला।
आस जीने की जगा कर कूक जाओ कोकिला।
हों तुम्हारे शब्द कितने ही भले हमसे अलग,
पर हमारे भी सुरों में सुर मिलाओ कोकिला।
दोहे
रवि ने दिन भर खेल कर, जब छोड़ा मैदान।
सोम सुबह तक के लिये, बन बैठे कप्तान।।
दिनकर पर पहरा लगा, चौकस हुए अलाव।
उष्ण वसन देने लगे, फिर मूँछों पर ताव।।
अभी मिटाना शेष है, अन्तस से अँधियार।
जाते-जाते कह गया, दीपों का त्योहार।।
माँ प्राची के अंक से, झाँके जब आदित्य।
अठखेली करने लगे, अम्बर में लालित्य।।
कब तक मेरे भाग्य में, अपशिष्टों का जाल।
आज सभी से सुरधुनी, करती यही सवाल।।
✍️ राजीव 'प्रखर'
मुरादाबाद
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कम्बल अपने गात का,सुत को देती जाय।
माँ को ठिठुरन से भरी,सर्दी अगर सताय।1।
मूँगफली गरमागरम,थोड़ी लाया बाप।
सगरी दे दी लाल को,नहीं चबायी आप।2।
माँ खाने का देखती,बापू खेत विहार।।
बच्चे दर-दर ढूँढते,सर्दी का उपचार।3।
एक रजाई पास में,घर में हैं जन चार।
मात पिता बनके रहे,बच्चों की दीवार।4।
चिक्की,मेवे,रेवड़ी,सर्दी में मन भाय।
सूखी रोटी ही सही,झनकू को मिल जाय।5।
भेदभाव बरते बड़े,सर्दी नामाकूल।
कतरन को ठिठुरन दई,मखमल के अनुकूल।6।
सर्दी उसको भा रही,प्रियतम जिसका पास।
सर्दी सा चुभता रहा,पिय का हमें प्रवास।7।
✍️ हेमा तिवारी भट्ट, मुरादाबाद
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जिनको अपनी मातृभूमि पर , रहा सदा ही है अभिमान ।
धीर वीर सुत वे जननी के , पाते हैं जग में सम्मान ।।
दुश्मन की फुंकारों से भी , झुका नहीं है जिनका शीश ।
भारत माँ के उन वीरों का , करते सभी सदा गुणगान ।
खड़े हुए हैं भारत हित में , जो बर्फीली सीमाओं पर
उनके ही साहस के बल से , अलग तिरंगे की पहचान ।
राष्ट्र ध्वज का मान बढ़ाते , अपने सुख का करके त्याग
रहें पताका सबसे ऊँची , उनका एक यही अरमान ।
सदा राष्ट्र हित सर्वोपरि है , सैनिक का है लक्ष्य महान
रहे चैन से सारी जनता , जिसके हित न्यौछावर जान ।
✍️ डॉ. रीता सिंह
चन्दौसी (सम्भल)
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राम के प्रभाव से ही बन रहा मंदिर है
कितने वर्षों में जानें, शुभ घड़ी आयी है
।
राम जी पधारे सीता मैया व लखन संग
अवधपुरी में आज,बजी शहनाई है।
तंबू को उखाड़ फेंका,महलों को जीत लाए,
भारती के लाल देखो,गा रहे बधाई हैं।
राम -राम ,सीता -राम ,सीता -राम ,राजा राम
राम लला ,राम जी की,छवि मन भायी है।
✍️ मीनाक्षी ठाकुर, मुरादाबाद
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जोर का डंका बजा औ सब खिलाड़ी हो गए।
लो जमूरे आज के शातिर मदारी हो गए।
क्या सही क्या है गलत परवाह ना इस बात की,
चमचमाता जो दिखे उसके पुजारी हो गए।
दल बदलना-दल पकड़ना, आम सी इक बात है,
एक थाली के वो सारे,हम भिखारी हो गए।
वोट वालों की नहीं कीमत रही है आज कल
छल जो करना जानते हैं, सब पे भारी हो गए ।
मूल्य नैतिकता जिन्हें मालूम तो कुछ भी नहीं
मुल्क में सत्ता मिली तो , सब शिकारी हो गए।
✍️ इन्दु,अमरोहा,उत्तर प्रदेश
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जनसंख्या बढ़ती जाती है,
समस्याओं का मूल यही।
अभी नहीं गर इसको रोका,
होगी भारी भूल यही।।
क्यों गम्भीर नहीं अब होते,
संसाधन की कमी को रोते।
अभी जो दिखती तिनके जैसी।
बढ़कर होगी शूल यही।।
अभी नियंत्रण बहुत जरूरी,
बन ना जाये फिर मजबूरी।
जनसंख्या पर नियम बने अब,
है इसका निर्मूल यही।।
✍️ नृपेंद्र शर्मा "सागर"
ठाकुरद्वारा मुरादाबाद
मोबाइल:- 9045548008
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रास्ते कुछ जो सिखाते,
तो मंजिल कितनी आसान होती।
राह में अगर तुम मिलते,
तो मंजिल कितनी हंसी होती।
हर परवाज पर अंजाम मिलते,
तो जिंदगी कितनी हसीन होती।
हर शाख पर अगर फूल लगते,
तो कायनात कितनी खूबसूरत होती।
देख तो लेता मैं जमाने की रंजिश,
इक तू जो मेरे साथ....मेरे साथ होती।
✍️ अमित कुमार सिंह(अक्स)
7C/61बुद्धिविहार फेज 2
मुरादाबाद
मोबाइल-9412523624
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देश जला है जलने दो
रोग पला है पलने दो
हम रोगों को पालेंगे
देश जला हम डालेंगे
हम गांधी के बंदर है
सबसे बड़े सिकंदर है।
देश लुटा है लूटने दो
देश बटा है बटने दो
हम देशो को बाटेंगे
अपनो को ही डांटेंगे
हम ही बड़े कलंदर है
सबसे बड़े सिकंदर है
सत्य घटा है घटने दो
झूठ डटा है डटने दो
जो खाई को पाटेंगे
तलवो को भी चाटेंगे
वो ही बड़े धुरंदर है
सबसे बड़े सिकन्दर हैं।
✍️ आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ, मुरादाबाद
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आइए!
संकल्प सिद्ध करें
देश के गलियारों में,
छुआ-छूत से भरी
जातिवाद की ऊंची दीवारों मन,
जब अपना ही घर लूट लिया
देश के ग़द्दारों ने...
जनता खड़ी देखती रही
सिमटी अपने किरदारों में ।
आइए !
संकल्प सिद्ध करें
देश के गलियारों में...
✍️प्रशान्त मिश्र
राम गंगा विहार, मुरादाबाद
सभी की बहुत उत्कृष्ट कोटि की रचना है बहुत-बहुत शुभकामनाएं💐💐💐
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