गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ शोभना कौशिक की कहानी ---- ऑनलाइन क्लास

 


वैभव एक फर्म में बहुत छोटे ओहदे पर था ।रात दिन मेहनत करके इतनी तनख्वाह मिल जाती ,कि दो वक्त की रोटी नसीब हो जाये ।दो पढ़ने वाले बच्चों के साथ जैसे -तैसे गुजारा हो पाता ।वैभव अपने दोनों बच्चों के भविष्य के लिये कोई समझौता नही करना चाहता था ।वह नही चाहता था ,कि जिस हालात का वह सामना कर रहा है ,उसके बच्चे भी उसी हालात से गुजरे।यही कारण था,कि वह जी तोड़ मेहनत करके अपने बच्चों की फीस ,ट्यूशन आदि का खर्च निकाल ही लेता ।सुधा उसे बार -बार आगाह करती ,कि अपने स्वास्थ्य का तो ध्यान रखो । लेकिन वह उसकी एक न सुनता ।

       किसी को क्या पता था ,कि कोरोना जैसी बीमारी में स्कूल ऑफलाइन नही ऑनलाइन चलेगे।सो स्मार्टफोन का उपयोग जरूरी हो जायेगा।दोनों बच्चों की क्लास का एक ही टाइम था।अगर एक मोबाइल फोन लाता है ,तो दूसरा कैसे उसी टाइम पर पढेगा।इसी ऊहापोह में वैभव ने दो मोबाइल फोन का कर्जा अपने ऊपर करके बच्चों को मोबाइल फोन लाकर दे दिये।

      बच्चे सुबह से मोबाइल फोन लेकर बैठ जाते।सुधा पूछती क्लास चल रहीं है क्या ।वह हाँ में उत्तर देते।कम-पढ़े लिखे वैभव-सुधा इसी चक्कर में रहे ,कि बच्चे पढ़ रहे है ।उन्हें क्या पता ऑनलाइन क्लास की ओट में बच्चे गेम खेल रहे हैं,तरह-तरह की वीडियो देख रहे हैं।

       वैभव सुबह का जाता देर रात तक घर आता । नतीजा यह हुआ ,बच्चे दिन भर मोबाइलफोन ले कर बैठे रहते।न कोई घर का काम करते न बाहर का ।सुधा को उनका व्यवहार देख चिन्ता खाये रहती ,कि ये ऑनलाइन पढ़ाई उसके बच्चों को कहींं का नहींं छोड़ेगी।

  ✍️ डॉ शोभना कौशिक, मुरादाबाद

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