दीपक और उसके छोटे भाई अखिल ने मिलकर दीवाली के लिए खरीदे जाने वाले पटाखों की पूरी लिस्ट तैयार कर रखी थी। अनार ,फुलझड़ी, जमीन पर घूमने वाला सुदर्शन चक्र तथा साथ ही राकेट - बम ,चटाई - बम आदि की पूरी लिस्ट थी। सोच रहे थे ,परसों जाकर आतिशबाजी मैदान से खरीद लाएँगे । इस समय कुछ सस्ती मिल जाएगी । लिस्ट दीपक के पास जेब में रखी हुई थी।
घर से निकलकर कॉलोनी के गेट की तरफ वह बढ़ा ही था कि पड़ोस के खन्ना अंकल मिल गए । कहने लगे "बड़े भाई साहब की तबियत खराब है । उन्हें साँस लेने में तकलीफ है । "
सुनते ही दीपक ने पहला काम राजेश जी की तबियत पूछने का किया । राजेश जी घर पर चारपाई पर अधलेटी अवस्था में थे। दीपक को देखते ही उन्होंने कहा "आओ दीपक बेटा ! ठीक हो ? "
दीपक ने कहा" मैं तो ठीक हूँ, लेकिन सुना है कुछ आपकी तबियत ठीक नहीं चल रही है ?"
राजेश जी मुस्कुराए और कुछ कहने ही वाले थे ,तभी उन्हें खाँसी का फंदा लगा । काफी देर तक खाँसते रहे । चेहरा तमतमा गया । दीपक को यह सब देख कर बहुत दुख हो रहा था । फिर जब खाँसी शांत हुई तो राजेश जी ने कहा "बेटा ! अब इस उमर में यह सब तो चलता ही रहता है । आज सुबह ही घर में रसोई में कुछ सामान बनते समय धुँआ आँगन में फैल गया और उसके बाद से मुझे खाँसी का दौरा पड़ना शुरू हो गया है । कई दिन से यही स्थिति चल रही है। थोड़ा - सा भी धुँआ बर्दाश्त करने की स्थिति नहीं है।"
दीपक ने सहानुभूति प्रकट की "धुँए से तो आपको परहेज करना ही चाहिए।"
राजेश जी ने कहा "सवाल मेरे परहेज का नहीं है । सवाल तो हमारे आस-पड़ोस के परहेज का है ।"
दीपक बोला "मैं समझा नहीं ।"
राजेश जी ने कहा "अब दीवाली आने वाली है । लोग पटाखे खरीदेंगे ,लेकिन अगर वह यह सोच लें कि उनके पटाखों से जो धुँआ निकलेगा वह मेरे जैसे न जाने कितने लोगों को कितनी तकलीफ देगा, तो फिर मेरी समस्या का हल हो जाएगा ।"
इतना सुनने के बाद दीपक से फिर वहाँ बैठा नहीं गया । वह चिंता की मुद्रा में बाहर निकला । कुछ दूर चला और फिर कूड़ेदान के पास पहुँचकर उसने अपनी जेब में रखा हुआ पटाखों की लिस्ट वाला कागज निकाला और उसके टुकड़े-टुकड़े करके कूड़ेदान में फेंक दिया
✍️ रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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