मत समझो बालक हमको,
दुश्मन के लिए शमशीर बनें।
शौर्य पराक्रम से हम कल के
भारत की तकदीर बनें ।।
मां जीजा के वीर शिवा हम
जग ने गाथाएं गाईं।
आंधी जैसा था बचपन ,
और तूफानी थी तरुणाई।।
मुगल बादशाह थरथर कांपे,
भारत मां की पीर बनें।।
शौर्य पराक्रम से हम कल के,
भारत की तस्वीर बनें।।
मां सीता के लवकुश हम ही,
अश्व मेध घोड़ा रोका ।
दिखा दिया बाहूबल दमखम ,
जब पाया हमने मौका।।
अन्यायों से लड़ें सदा हम,
युद्ध लड़े रणधीर बने।।
शौर्य पराक्रम से हम कल के,
भारत की तस्वीर बनें।।
अभिमन्यु ने गर्भ काल में ,
ग्रहण किया था दुर्लभ ज्ञान।
अद्भुत रण कौशल दिखलाया,
शत्रु का तोड़ा अभिमान।।
रथ पहिया ले बढ़ा निहत्था,
भले काल थे तीर बने ।।
शौर्य पराक्रम से हम कल के,
भारत की तस्वीर बनें।।
✍️ अशोक विद्रोही विश्नोई, 412 प्रकाश नगर मुरादाबाद, मोबाइल फोन नम्बर 82 188 25 541
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चूहे खाये बिल्ली रानी।
आखिर कब तक यही कहानी।।
बहुत सह चुके अब न सहेंगे ,
बिल्ली तेरी ये मन मानी।।
हम चूहों को खा-खा कर तुम ,
खुद को समझी ज्ञानी ध्यानी।।
शक्ति एकता में है कितनी ,
बात न अब तक तुमने जानी।।
ख़ूब भगा कर मारेंगे हम,
याद करा देंगे फिर नानी।।
छोड़ो खाना चूहे अब तुम ,
ढूंढो दूजा दाना पानी।।
✍️ डाॅ ममता सिंह, मुरादाबाद
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सोनू मोनू मोबाइल में
घंटों से कुछ सीख रहे हैं।
आंखें थकी हुई सी बोझिल
दोनों टिम- टिम मींच रहे हैं।
आज यकायक मोनू को
एक शरारत सूझी।
ऑन लाइन शिक्षण के बहाने
फ़ोन मिला था चूंकि।
गेम रिचार्ज कराने हेतु
नेट बैंकिंग जरूरी।
एटीएम पापा का ले
झट से की प्रक्रिया पूरी।
खाता खाली का मैसेज पा
पापा माथा पीट रहे हैं।
ऑन लाइन शिक्षण को ले
अभिभावक भी खीज रहे हैं।
माना रोचकता है काफी,
प्रशस्त विकास का मार्ग हुआ।
किन्तु इस मोबाइल युग में
गुम सा बचपन होने लगा है।
रेखा कुछ तरकीब लगाएं।
स्वस्थ मधुर बचपन दे पाएं।
✍️ रेखा रानी , गजरौला, अमरोहा
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आओ एक खेल खेलें हम ।
आँख -मिचौनी खेलें हम ।
तन्नू ,गोलू ,चिया, डुग्गू ,।
दौड़ -दौड़ कर खेलों तुम ।
हाथ न किसी के आना तुम ।
बच के हर किसी से रहना तुम ।
खेल हैं, सेहत के लिये अच्छे।
इनसे दोस्ती करके रहना तुम ।
✍️ डॉ शोभना कौशिक, मुरादाबाद
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मम्मी पापा धर लो ध्यान
कहता है यही विज्ञान
पेड़🌴 लगाने है मिलजुल के
बड़े फायदे हैं जंगल के
फल फूल लकड़ी ईंधन
जीवन दायनी आक्सीजन
वातावरण शुद्ध बनायें
वर्षा ऋतु में वर्षा लायें
इनसे मिलती जड़ी बूटियां
दाल अनाज हरी सब्जियां
बड़े काम के है ये वन
इनसे मिलता है जीवन
✍️ धर्मेंद्र सिंह राजौरा, बहजोई
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लंबू चाचा आये हैं।
खेल खिलोने लाये हैं।
रंग बिरंगे गुब्बारे हैं।
कांधे सबकुछ धारे हैं।।
बारह मन की धौबन है।
धरे बांसुरी मोहन है।
सबके मन पर छाये हैं।
लंबू चाचा आये हैं।।
काॅधे रखी गठरिया है।
उस पर चढी बॅदरिया है।
सॅग में एक जमूरा है।
बॅदरी बिना अधूरा है।
जाने क्या क्या लाये हैं।
लंबू चाचा आये हैं।।
✍️ अटल मुरादाबादी, नोएडा
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बच्चों तुम चलते चलो, ले आशा के दीप।
ले जायेंगे लक्ष्य के, तुमको यही समीप।।
साहस रख बढ़ते चलो, अन्धेरे को चीर।
पथ अपना है ढूँढता, जैसे नदिया-नीर।।
✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला,अमरोहा
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आसमान से उतरीं परियाँ
लेकर जादू की छड़ियाँ
फैल गया हरओर उजाला
चमकीं मोती की लड़ियाँ।
सोने सी पोशाकें उनमें
जड़ी हुईं मुक्ता-मणियां
हँसने पर झरती फूलों की
महक लुटातीं पंखुरियाँ।
चांदी जैसे पंख हिलाकर
करतीं नृत्य सभी परियाँ
बंधन मुक्त हुई स्वर लहरी
खुलने लगीं सभी कड़ियाँ।
चहुंदिस सजीं दीपमालाएं
छुटी प्यारकी फुलझड़ियां
रंग बिरंगी रंगोली से
सजा रहीं आंगन सखियां।
कोटि-कोटि आशीष देरहीं
अम्बर से उतरीं परियाँ
खील-बताशे बांट-बांटकर
घर-घर भेज रहीं खुशियां।
मैं भी परियों के संग नाचूँ
महक उठें मन की कलियां
जाग उठे अलसाया जीवन
महकें जीवन की बगियाँ।
✍️ वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, मुरादाबाद/उ,प्र, मो0- 9719275453
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आज से अच्छा था समय वह पुराना
बहुत याद आता है वो गुजरा जमाना
हाथ से नेकर पकड़ के टायर चलाना
कंचों के जीतने पर अंगुली चटकाना
ट्यूवेल पर जाकर मन भर के नहाना
चप्पल काटकर ट्रेक्टर-ट्रॉली बनाना
गरीबी में अमीरी का अहसास पा जाना
वो वर्षा के पानी जहाज का चलाना
बागों में पेड़ों पर उछल-कूद मचाना
उबलती हांडी दूध-मलाई भी चुराना
हीरो-हीरोइन के फ़ोटो खूब सजाना
माचिस को फाड़कर ताश का बनाना
हमको संशाधनों से नही था तकाजा
पूर्ण आत्मनिर्भर था वो गुजरा जमाना
✍️ दुष्यंत 'बाबा', पुलिस लाईन, मुरादाबाद
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वृक्षो का दरबार
देखी जंगल में इक बस्ती
एक से एक बड़ी है हस्ती ,
रहते वृक्ष मानुष की भाँति
करते बहुत वहाँ वे मस्ती ।
बरगद पेड़ों का बन राजा
जब जी चाहे सभा बुलाता ,
घनी घनी अपनी छाया में
वृक्षों का दरबार सजाता ।
जटा बने हाथों से अपने
सब को है आदेश सुनाता ,
सेनापति बनाकर पीपल को
पेड़ों की रक्षा करवाता ।
आम वृक्ष बना महामंत्री
जंगल का पोषक बन जाता ,
नीम चिकित्सक - सा खड़ा हो
निर्माण औषधि का करवाता ।
दे आदेश सभी फूलों को
वन भवन में महक बिखराता ,
सुरभित तन मन रहते सबके
रोग शोक है कभी न छाता ।
चीड़ ,साल, सागौन, कीकर
सब उसके ही दरबारी हैं ,
जंगल की इस भरी सभा पर
स्वस्थ वसुन्धरा सारी है ।
✍️ डॉ रीता सिंह, मुरादाबाद
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मक्कार लोमड़ी
सुंदरवन में सभी पशु -पक्षी मिलजुल कर रहते थे।वहाँ का राजा शेरसिंह था।शेरसिंह मनोरंजन हेतु प्रत्येक माह में एक बार रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन करता था ।उस दिन कोई जानवर किसी का शिकार नहीं कर सकता था।अतः सभी जानवर निडरतापूर्वक उस आयोजन में हिस्सा लेते थे।जो आयोजन में हिस्सा नहीं लेते थे, दर्शक बनकर कार्यक्रम का आनंद लेते थे।
हर बार की तरह इस बार भी आयोजन नियत समय पर प्रारंभ हो गया।सबसे पहले साँवरी कोयल ने आकर मधुर स्वर में गीत सुनाया। तत्पश्चात रंगीले मयूर ने मनमोहक नृत्य किया जिसे देख सभी पशु- पक्षी झूम उठे ।मोहिनी मैना ने बहुत सुंदर कविता सुनायी, तो हरियल तोते ने मधुर भजन। चीनू चीते ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया तो भोलू भालू ने नये -नये करतब दिखाये।बंटी बंदर ने सभी को बहुत हँसाया। सभी दर्शक तालियाँ बजाकर प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन कर रहे थे ।
परंतु यह बात नीलू लोमड़ी को ज़रा भी अच्छी नहीं लग रही थी।ताली बजाना तो दूर,उल्टे नाक भौं सिकोड़कर सबकी मज़ाक बना रही थी।यह देखकर शरारती चीकू खरगोश से रहा नहीं गया और उसने मंच पर जाकर माइक से उद्घोषणा कर दी "आइये !!अब मिलते हैं नीलू मौसी से,कृपया नीलू मौसी जी मंच पर आयें और अपनी प्रस्तुति दें...!!कृपया सभी ज़ोरदार तालियों से नीलू मौसी जी का स्वागत करें !!"यह सुनते ही नीलू लोमड़ी सकपका कर बगलें झाँकने लगी,परंतु अब क्या कर सकती थी?अब तो माइक से उसके नाम की आवाज़ लग गयी थी,अतः मंच पर जाना ही पड़ा।
परंतु उसे तो न नाचना आता था,न गाना और न बजाना।बेचारी कोई करतब भी नहीं दिखा सकी ।जब उसे बहुत देर खड़े खड़े हो गयी तब दर्शकों में से हूटिंग की आवाज़ें आने लगीं ।तभी मीनू हिरनी ने खड़े होकर हँसते हुए पूछा,"आखिर तुम्हें आता क्या है जी ?...जो आता है वही करके दिखा दो..."
"म..म..मक्कारी !!"नीलू लोमड़ी के मुँह से हड़बड़ी में निकल गया।
इतना सुनते ही सभी पशु- पक्षी ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे और नीलू लोमड़ी दुम दबाकर वहाँ से भाग खड़ी हुयी।
✍️ मीनाक्षी ठाकुर, मिलन विहार, मुरादाबाद
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राजा कौन बनेगा ?
जंगल के सभी पशु पक्षियों की मीटिंग में यह तय हुआ कि इस बार जंगल का राजा किसको बनाया जाये।आखिर प्रस्ताव पास हुआ और बन्दर को राजा बना दिया गया।एक दिन वास्तविक जंगल के राजा शेर ने लोमड़ी को दबोच लिया, जंगल में हड़कम्प मच गया।सभी ने एक स्वर में राजा बना बन्दर से कहा अरे क्या देख रहे हो लोमड़ी को बचाओ जल्दी से।अब बन्दर कभी इस डाली तो कभी उस डाली पर दौड़ता रहा ,आखिर शेर ने लोमड़ी का अंत कर दिया।सभी जंगल के पशु पक्षी नाराज़ हो गए और बन्दर से बोले क्या तुम्हें इसलिए राजा बनाया था।बन्दर बोला मैने तो बहुत मेहनत की पर क्या करता ।वास्तव में उसने मेहनत तो बहुत की कभी इस डाली तो कभी उस डाली।अब शेर जो गुर्राया तो बन्दर का पता नहीं चला कहाँ गया।
✍️ अशोक विश्नोई , मुरादाबाद
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