मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद बिजनौर निवासी साहित्यकार अशोक मधुप की रचना -----कुछ गलती तो थी अपनी, क्यों ये विषधर पाले जी? नेता जी के दमपर ही खुश हैं साली - साले जी।


 मॉल रहे या माले जी।

 रुके नहीं घोटाले जी।

गंगा ही बस पावन है,

दूषित नदियाॅ, नाले जी।

उनके घर पकवान बने हैं,

इनके रोटी-  लाले जी।

कुछ गलती तो थी अपनी,

क्यों ये विषधर पाले जी?

नेता जी के दमपर ही

खुश हैं साली - साले जी।

योगी मोदी अच्छे हैं,

अधिकारी मतवाले जी।

नए -नए हथकंडों से ,

करते काम निराले जी।

फाइल पैसे से चलती,

 कैसे  काम निकालें जी।

आओ बैठो सोचें कुछ,

बिगड़ी बात बनालें जी।

 क्या लाये या ले जाएंगे ?

 मन को ये समझालें जी,

बुरा समय आया था कल ,

भाग गये हमप्याले जी।

✍️ अशोक मधुप

25- अचारजान, कुंवर बाल गोविंद स्ट्रीट, बिजनौर 246701, उत्तर प्रदेश, भारत

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (09-12-2020) को "पेड़ जड़ से हिला दिया तुमने"  (चर्चा अंक- 3910)   पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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