शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की लघुकथा -----आस्तीन के साँप

 


मुखिया जी जुम्मन टेलर की दुकान पर पहुँचकर शर्ट का नाप देने खड़े ही हुए थे कि अचानक जेब में रखा मोबाइल फोन बज उठा।झल्लाते हुए मुखिया जी ने फोन रिसीव किया,"हैलो...!!क्या हुआ मनोज?अभी तो घर से आया हूँ...इतनी देर में क्या आफ़त आ गयी...।"

"पापा आफ़त तो बहुत बड़ी आ गयी है...हमारे कुछ समर्थक चुनाव से ऐन पहले दूसरे गुट में जा मिले हैं..।"मनोज लगभग हाँफते हुए बोला "पापा...आस्तीन के साँप निकले ये लोग तो..!!पता नहीं अभी और कौन कौन जायेगा उधर....??अब क्या होगा...!"

"कुछ नहीं होगा मनोज..!."मुखिया जी मुस्कुराते हुए बोले,"आस्तीन के साँप तो सब जगह होते हैं....हें हें हें...!!. उधर भी ज़रूर होंगे... उन्हें इधर बुला लेंगे ।"यह कहकर मुखिया जी ने रहस्यमयी मुस्कान के साथ फोन काट दिया।

"चलो भई जुम्मन मियाँ..!!नाप ले लो शर्ट का...".

"...और हाँ आस्तीनों में गुंजाइश ज़रा ज्यादा रखना।"मुखिया जी से गंभीर होते हुए  जुम्मन मियाँ से बोले।

✍️ मीनाक्षी ठाकुर, मिलन विहार, मुरादाबाद 244001

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