चलो हो गई सबकी छुट्टी
पढ़ाई से हो गई सबकी कट्टी .
नानी के घर, अब सब जाएंगे
धमा चौकड़ी , खूब मचाएंगे .
मस्ती , बस अब मस्ती होगी
न किताबों का हो , कोई रोगी .
सुबह सवेरे , उठकर हम सब
टहलने जाएं, नानाजी के संग
नानी , प्रेम फुहार बरसायेगी
मम्मी की , अब चल न पाएगी .
दूध जलेबी मामाजी लाएंगे
मिलजुलकर हम सब खाएँगे .
मौसी , मम्मी , नानी नाना
बुनते रहेंगे बातों का ताना .
खूब खाएँगे आइसक्रीम कुल्फी
ठंडी ठंडी , खट्टी और मीठी .
छुट्टी बाद फिर स्कूल जायेगे
अगले साल , अच्छे दिन आएंगे .
✍️ राशि सिंह
मुरादाबाद 244001
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दूरदर्शन पर प्रसारित
सीरियल महाभारत ने
बच्चों का मन ख़ूब लुभाया
लोकडाउन के समय में
संस्कृति से अपनी
परिचय उनका कराया
सुन उपदेश गीता के
बच्चों के मन में
प्रश्न एक आया
बिन कर्म फल कैसे सम्भव
ऐ माँ ये समझ न आया
माँ ने सुनकर प्रश्न बच्चों का
उनको पास अपने बैठाया
अपने ज्ञान सागर से फिर
उनकी शंका को यूँ मिटाया
फल की चिंता अगर करोगे
तो कर्म प्रभावित हो जाएगा
तुम्हारा मस्तिष्क फिर कही
एक सीमा तय कर आएगा
जिसको पाना ही मात्र
उद्देश्य तुम्हारा रह जायगा
कहती गीता अगर बाँधोगे
ख़ुद को किसी सीमा से
फिर शक्ति जो अंदर बसी
उसे कैसे तूँ पहचान पायगा
जब कर्म करोगे चिंतामुक्त
फिर राह हर खुल जायगी
जिस पथ पर तुम पग रखोगे
वो यश की तुम्हें सैर करायगी
बच्चों क्षमता को अपनी
तुम किसी फल में
क़ैद कभी मत करना
कहती गीता इसलिए तुमसे
करते रहना कर्म ही सदा
फल की तुम इच्छा न करना
फल की तुम इच्छा न करना
✍️ प्रीति चौधरी
(शिक्षिका)
राजकीय बालिका इण्टर कालेज
हसनपुर, जनपद-अमरोहा, उ0प्र0
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पंछी क्या सिखाते हैं?
सुबह सवेरे घर के बाहर ,
पंछी शोर मचाते हैं !
गा गा कर मीठी बोली में,
हर दिन मुझे जगाते हैं!!
दादी रखती दाना पानी ,
दाना सब चुग जाते हैं ।
दाना खाते पानी पीते,
मन को बहुत लुभाते हैं।
शाखों की झुरमुट में देखो,
गुरगल ने घर बना दिया।
अंडे दो दे कर उसमें फिर
अपना आसन जमा लिया।
बुलबुल की मीठी बोली से ,
मुझको लगता बहुत भला।
गौरैया की चीं चीं कहती,
सांझ हुई अब सूर्य ढला!
दीवारों की कोटर में कुछ,
कतरन और ऊनी धागे।
फुदक फुदक कर जाये,
गिलहरी इस के हीअंदर भागे।
यह सब भी मानव के-
जैसा घर संसार बसाते हैं।
कभी नहीं आपस में लड़ते ,
सदा प्यार बरसाते हैं।
यह पंछी और जीव जंतु-
कुछ पाठ पढ़ाते हैं सबको!
हम अपने में खोए रहते,
देख नहीं पाते इनको।
पापा मम्मी तुम दोनों में,
जब झगड़ा हो जाता है!
सहम सहम जाता हूं मैं-
और मन मेरा घबराता है!
बुरे बुरे सपने आते हैं ,
मुझको बहुत डराते हैं!!
अब आपस में न लड़ना,
तुम पंछी यही सिखाते हैं !
सुबह सवेरे घर के बाहर ,
पंछी शोर मचाते हैं !
गा गाकर मीठी बोली में ,
हर दिन मुझे जगाते हैं।।
✍️ अशोक विद्रोही
412 प्रकाश नगर
मुरादाबाद
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आओ छुक -छुक रेल चलाएं
मीलों तक इसको दौड़ाएं
छुन्नू चालक आप बनेंगे
मुन्नू आप गार्ड बन जाएं
झंडी और व्हिसिल देकर के
सबको गाड़ी में बैठाएं
आओ छुक -छुक--------------
स्टेशन स्टेशन रोकें
लाल हरे सिग्नल को देखें
चलने का सिग्नल मिलने पर
करें इशारा अंदर बैठें
फिर सरपट गाड़ी दौड़ाने
चालक को झंडी दिखलाएं।
आओ छुक - छुक--------------
दादी अम्मा बूढ़े बाबा
दौड़ नहीं सकते जो ज्यादा
उनको डिब्बे में बिठला कर
पूर्ण करें इंसानी वादा
गोलू, मोलू, चिंटू, भोलू
सबको बिस्कुट केक खिलाएं
आओ छुक-छुक---------------
दिल्ली, पटना, अमृतसर हो
जहाँ कहीं भी जिनका घर हो
उत्तर, दक्षिण, पूरव, पश्चिम
कोई छोटा-बड़ा शहर हो
भटक रहे श्रमिक अंकल को
अब उनके घर तक पहुंचाएँ
आओ छुक -छुक---------------
देख सभी का मन हर्षाया
उतरे जब स्टेशन आया
टी टी ने जब पूछा आकर
सबने अपना टिकिट दिखाया
टाटा करते सारे बच्चे
अपने अपने घर को जाएँ।
आओ छुक -छुक----------------
हम बच्चे कमज़ोर नहीं हैं
बातूनी मुंहजोर नहीं हैं
एक साथ रहते हैं फिर भी
होते बिल्कुल बोर नहीं हैं
साथ - साथ खा-पीकर हम सब
मतभेदों को दूर भगाएँ।
आओ छुक-छुक-----------------
✍️ वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र,
9719275453
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तोता मुझे बना दो राम,
लंबे पंख लगा दो राम।
नील गगन में मैं उड़ जाऊँ,
तारे सभी बना दो आम।।
तोता मुझे बना दो राम,
सुंदर पँख लगा दो राम।
कभी खत्म ना हो बहार वो,
पतझड़ का क्या वहाँ पे काम।
तोड़-तोड़ कर उनको खाऊँ,
मुफ्त में बन जाये मेरा काम।।
तोता मुझे बना दो राम,
सुंदर पँख लगा दो राम।
इंद्रधनुष के रँग चुरा कर,
कर दूँगा होली के नाम।
सारे रँग मुफ्त में दूँगा,
लूँगा नहीं किसी से दाम।।
तोता मुझे बना दो राम,
सुंदर पँख लगा दो राम।
हरा लाल बंट गया मज़हब में,
सतरँगी हो मेरा चाम।
प्रेम भाव सन्देश सुनाऊँ,
मुझे सौंपना बस ये काम।।
तोता मुझे बना दो राम,
सुंदर पँख लगा दो राम।।
✍️ नृपेंद्र शर्मा "सागर"
ठाकुरद्वारा (मुरादाबाद)
९०४५५४८००८
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चलो इशू ले आओ दाना
खिलाने चलें चिड़ियों को खाना
गिल्लू और मिट्ठू
बड़ी देर के आए
ढूँढो जरा दिक्खे कहीं ना
खिलाने चलें चिड़ियों को खाना
चलो ............................
देखो कच्चे अनार
इन दोनों नें कुतरे
छुपे हैं कि कोई देखे ना
खिलाने चलें चिड़ियों को खाना
चलो ...........................
मोर भी आया है
उसको भी देना
देखो कोई भूखा रहे ना
खिलाने चलें चिड़ियों को खाना
चलो ..........................
पानी के बर्तन में
पानी भी रखना
यहाँ वहाँ कहीं भटके ना
खिलाने चलें चिड़ियों को खाना
चलो ........................
देखो तो मोर
नाचने को आतुर
पानी कहीं बरसे ना
खिलाने चलें चिड़ियों को खाना
चलो ........................
✍️ कंचन लता पाण्डेय “ कंचन “
९४१२८०६८१६
आगरा
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आम रसीला पीला-पीला,
खाओ इसको शालू-शीला ।
गरमी में यह मन को भाये,
रूप इसका रंग रंगीला ।
इसको कहते फलों का राजा
लंगड़ा,टपका,चौसा भी ला।
एक ही बार में खाऊँ सारे
सबको भावे आम रसीला ।।
✍️ मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद
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अम्मा जी इस बार जून में ,
मुझे गांव को जाना है।
पके आम की झुकी डाल से ,
आम तोड़ कर खाना है।
बूढ़े दादा जी के संग में ,
मैं खेतों पे जाऊँगा।
रोज सवेरे जल्दी उठकर ,
अपना स्वास्थ्य बनाऊंगा ।
बाबा के किस्से सुनसुन कर
अपना ज्ञान बढ़ाना है।
पके आम,,,,,
कुछ दिन के ही लॉक डाउन में ,
जीवन का धन पाया है ।
दादा दादी के संग रहकर ,
अच्छा समय बिताया है।
दादा जी जब गांव को जायें
मुझको भी संग जाना है।
पके,,,,,,,,,
आज जरूरत उनको मेरी
इसीलिये यह कहना है।
बूढ़े दादा लगते प्यारे ,
उनके संग ही रहना है।
अंधे की लकड़ी बनकर के
उनका साथ निभाना है ।
पके,,,,,
✍️ डॉ प्रीति सक्सेना
मुरादाबाद
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दूल्हा बनने के चक्कर में
करा घोटाला चुनमुन ने
पापाजी की अलमारी का
तोड़ा ताला चुनमुन ने
पापाजी का सबसे बढ़िया
सूट निकाला चुनमुन ने
टाई लगाकर जूता पहना
ढीला ढाला चुनमुन ने
बहुत देर तक इधर उधर
देखा भाला चुनमुन ने
दुल्हन नहीं मिली,गुस्से में
तोड़ दी माला चुनमुन ने
✍️ डॉ पुनीत कुमार
T-2/505, आकाश रेसीडेंसी
मधुबनी पार्क के पीछे
कांठ रोड,मुरादाबाद -244001
M - 9837189600
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मेरी प्यारी प्यारी किताबें,
मोबाइल से न्यारी किताबें।
लॉक डाउन में दिल बहलाती,
अच्छी बातें यह सिखलाती।
घर बैठे यह ज्ञान बढ़ातीं,
न ही कोई खर्च कराती।
इन्हें नही करना रिचार्ज,
यह तो खुद रहती है चार्ज।
चाहे कितनी बार पढ़ो,
पलटो पन्ना आगे बढ़ो।
कोई दौर हो कोई ज़माना,
पुस्तक को तुम भूल न जाना।
हो कितनी ही भारी किताबें,
कभी नही हैं हारी किताबें।
इनका नही कोई भी मोल,
पुस्तक होती है अनमोल।
✍️ कमाल ज़ैदी "वफ़ा"
सिरसी (सम्भल)
9456031926
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गर्मी के मौसम की आहट आती है
धरती माता फूली नहीं समाती है
आमों की खुशबू आती हैं बागों से
गीत कोकिला कितना मधुर सुनाती है
हरे भरे हो पेड़ झूमने लगते हैं
पवन सुगंधित सारा जग महकाती है
होते मीठे खरबूजे तरबूज बड़े
इनको खाकर गर्मी प्यास बुझाती है
स्कूल किताबों से मिल जाता छुटकारा
गर्मी की छुट्टी बच्चों को भाती है
✍️ डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद244001
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मीठा और रसीला आम
मेरे मन को भाया आम
पीला - पीला पका हुआ आम
हरा - हरा है खट्टा आम
डाल से लटका कच्चा आम
सबके मन को भाए आम
जो आए वो लाए आम
जो खाए , वो खाए आम
फलों का राजा कहलाए आम
खुद पर बहुत इतराए आम
काट के खाएं लंगड़ा आम
चूस के खाएं चोसा आम
बड़ा ही मीठा दशहरी आम
बहुत बड़ा है सफेदा आम
सबसे अच्छा अलफांसों आम
बच्चों का है प्यारा आम
जग में सबसे न्यारा आम ।।
✍️ सीमा वर्मा
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है स्वभाव से अतिशय चंचल।।
इक पल रहता है जमीन पर,
अगले पल ही आसमान पर,
स्वप्न देखता रहता प्रतिपल,
है स्वभाव से अतिशय चंचल।
मन से तो है बिल्कुल बच्चा
खा जाता है सबसे गच्चा
पर न किसी से करता वह छल
है स्वभाव से अतिशय चंचल
कक्षा में अव्वल आता है
उसको गणित नहीं भाता है
प्रश्न पूछता रहता प्रतिपल
है स्वभाव से अतिशय चंचल
मँहगी मँहगी कार चलाना
वायुयान का चालक बनना
देश देश तक घूमे पल पल,
है स्वभाव से अतिशय चंचल।
सभी विषय के प्रश्न पूछता
नये नये फिर तर्क ढूँढता
जब तक प्रश्न न हो जाये हल,
है स्वभाव से अतिशय चंचल।
बहुआयामी उसे ज्ञान है
मेधावी है बुद्धिमान है
हो भविष्य अविरल का उज्ज्वल,
भले अभी है अतिशय चंचल।
दादाजी का पोता अविरल।
✍️ श्रीकृष्ण शुक्ल
MMIG 69, रामगंगा विहार
मुरादाबाद 244001
मोबाइल नं. 9456641400
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::::::::::;प्रस्तुति :::::::::::::
डॉ मनोज रस्तोगी
8, जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 9456687822
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