मंगलवार, 12 मई 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद संभल (वर्तमान में मेरठ निवासी) के साहित्यकार सूर्यकांत द्विवेदी की कविता--- मां


सबकी आंखों में
सबकी रातों में
आज माँ होगी
सामने हक़ीक़त..
कलम- कागज़ पर
उसकी इबारत होगी।।
कवि उपमाओं में
कोई तुलिकाओं में
तोलेंगें/ सजायेंगे..।।

माँ
शब्द सागर में
हिलोरें भरेगी
मुन्ने की कॉपी
में टास्क बनेगी
प्रतियोगिता होगी
माँ.. माँ ...माँ
किसकी माँ
सर्वश्रेष्ठ...!!

आज अल्फाजों में
अश्क ओ रश्क होंगे
भीगी हुई आँखों से
भीगी कलम होगी।

*जानती हो माँ...*
आज तुम्हारी
आरती होगी
महिमा होगी
जयकार होगी।
शंखनाद होगा
यशोगान होगा।।

*चित्र-1*
तुम एक कमरे में..
तन्हा खाट पर होगी
कविता आसमान से
पृष्ठ उतर रही होगी।।

*चित्र 2*
तुम अब नहीं हो मगर..
आज आओगी..पता है
सूरज/ चंदा/ तारे बन
मुझे जिताने आओगी।।

*चित्र-3*
लिखने के बाद मैं
आश्रम गया था.. याद है
तुमको कविताएं सुनाई थी
तुम देखती रहीं थीं मुझ को
अपलक..अनवरत..अनथक।

मैं कुछ देकर घर लौट आया
माँ सोचती रह गई.. अरे यह
कौन सा त्यौहार आ गया..??

इतना बड़ा हो गया.....
बचपना नहीं गया.... !!

✍️ सूर्यकांत द्विवेदी

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