शुक्रवार, 15 मई 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई की लघुकथा ------ असहाय


    जिला अस्पताल में पहुंच कर बीमार मोहन ने पर्ची कटवाई और डॉक्टर के कमरे में पहुँचा, डॉक्टर ने उसकी जांच कर कुछ दवाइयां लिख कर उसे दे दी और कहा जाकर काउंटर से ले लो ।काउंटर पर भीड़ थी कुछ देर बाद उसका नम्बर भी आ गया, उसने पर्ची कम्पाउंडर को थमा दी कम्पाउंडर ने पर्ची पर कुछ गोलियां रख कर और यह कह कर की इंजैक्शन बाहर मैडिकल स्टोर से ले लो उसे दे दी।वह  गिड़गिड़ा कर बोला ,मैं बहुत ही गरीब आदमी हूँ।मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं।कम्पाउंडर ने उससे कहा ''क्या तेरे लिए कहीं से खोद कर लाऊं, चले आते हैं ?''वह बोला आप ही कुछ प्रबंध कर दो ,मेरे पास तो घर जाने लायक ही पैसे हैं ।कम्पाउंडर ने कहा '' ला निकाल कितने पैसे हैं ।'' मोहन ने जेब से पैसे निकाल कर उसकी ओर बढ़ा दिये, उसने इंजैक्शन उसके हाथ पर रख दिया '' अब गरीब मोहन हाथ में लिये इंजैक्शन की ओर देखता तो कभी अपनी जेब की ओर उसके पास इंजैक्शन लगवाने के लिए भी पैसे नहीं बचे  थे, इस वेदना में उसकी आँखों से  आँसू टपककर  इंजैक्शन पर गिरने लगे, औऱ--------वह प्रश्न चिन्ह बना  खड़ा रहा??????
       
            ✍️ अशोक विश्नोई
               मुरादाबाद
               941180922

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