अशर्फीलाल और चिरंजीलाल में सुबह -सुबह तू तू मै मै होना कोई नई बात नहीं थी । अशर्फीलाल का कहना था कि चिरंजी अपने घर का कूड़ा उसके घर के सामने डाल देता है जबकि चिरंजीलाल का कहना था - वह तो सरकारी सड़क पर कूड़ा डालता है। आये दिन की दोनों की तू तू मै मैं से दोनों परिवार में मन मुटाव चला आ रहा था ।
अचानक पांच मई को 65 वर्षीय अशर्फीलाल की तबियत खराब होने पर उन्हें पहले मुरादाबाद ले जाया गया और वहाँ से उन्हें मेरठ अस्पताल में रैफर कर दिया गया जहाँ 6 मई को उनकी कोरोना के लिये सैम्पलिंग हुई और 8 मई को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो उनके सभी परिजनों को स्वास्थ्य विभाग की तरफ से क्वारन्टीन कर दिया गया। 10 मई को उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई । मेरठ में अशर्फीलाल की ससुराल के कई रिश्तेदार थे, जिन्हें मौत की सूचना दी गई लेकिन कोरोना के खौफ के चलते कोई अस्पताल नहीं आया। कल तक जो लोग उनके आगे पीछे रहते थे उन्होंने नये नये बहाने बनाकर अस्पताल आने में अपनी असमर्थता जता दी थी। पड़ौस के गांव से मुंह बोले भतीजे विनोद को जब ताऊ की मौत की खबर मिली तो वह सारी बाधाएं पार करते हुए मेरठ पहुँच गया। उसने ताई सविता से फोन पर वार्ता की तो उन्होंने मेरठ में ही अंतिम संस्कार करने की बात कह दी लेकिन दो जिलों के बीच में अशर्फीलाल का अंतिम संस्कार भी उलझ गया। वह सोच रहा था कोरोना ने रिश्ते नाते तो क्या संवेदनहीनता का वायरस भी समाज में फैला दिया है । ताऊ के परिजनों से कहकर बड़ी मिन्नतों के बाद आखिरकार वह ताऊ का शव गांव ले आया। कोरोना व प्रशासन के खौफ़ के कारण गांव में भी लोग सांत्वना तक व्यक्त करने उसके ताऊ के घर नहीं आये । वहीं पड़ोस में चिरंजी लाल की पत्नी रजनी अपने पति व बच्चों को समझा रही थी कि पड़ोस में छोटी मोटी बात होती रहती है लेकिन कोई दुश्मनी थोड़ी हो जाती है। सविता की पूरी फैमिली क्वारन्टीन है ऐसे में पड़ोसी होने के नाते हमारा फर्ज है कि हम अशर्फीलाल का विधि विधान से अंतिम संस्कार कराएं। अगले ही पल चिरंजीलाल अपने चारों बेटों के साथ पूरी सावधानी बरतते हुए अशर्फीलाल की अर्थी को कान्धा देने पहुँच गये । शमशान की दीवार से सिर टिकाए विनोद अपने ताऊ की चिता को जलते देख रहा था। अचानक उसके मुंह से निकल पड़ा - किसी ने सच ही कहा है सौ गोती एक पड़ौसी बराबर होता है।
✍️कमाल ज़ैदी 'वफ़ा'
प्रधानाचार्य, अम्बेडकर हाई स्कूल बरखेड़ा (मुरादाबाद)
सिरसी (सम्भल)
9456031926
अचानक पांच मई को 65 वर्षीय अशर्फीलाल की तबियत खराब होने पर उन्हें पहले मुरादाबाद ले जाया गया और वहाँ से उन्हें मेरठ अस्पताल में रैफर कर दिया गया जहाँ 6 मई को उनकी कोरोना के लिये सैम्पलिंग हुई और 8 मई को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो उनके सभी परिजनों को स्वास्थ्य विभाग की तरफ से क्वारन्टीन कर दिया गया। 10 मई को उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई । मेरठ में अशर्फीलाल की ससुराल के कई रिश्तेदार थे, जिन्हें मौत की सूचना दी गई लेकिन कोरोना के खौफ के चलते कोई अस्पताल नहीं आया। कल तक जो लोग उनके आगे पीछे रहते थे उन्होंने नये नये बहाने बनाकर अस्पताल आने में अपनी असमर्थता जता दी थी। पड़ौस के गांव से मुंह बोले भतीजे विनोद को जब ताऊ की मौत की खबर मिली तो वह सारी बाधाएं पार करते हुए मेरठ पहुँच गया। उसने ताई सविता से फोन पर वार्ता की तो उन्होंने मेरठ में ही अंतिम संस्कार करने की बात कह दी लेकिन दो जिलों के बीच में अशर्फीलाल का अंतिम संस्कार भी उलझ गया। वह सोच रहा था कोरोना ने रिश्ते नाते तो क्या संवेदनहीनता का वायरस भी समाज में फैला दिया है । ताऊ के परिजनों से कहकर बड़ी मिन्नतों के बाद आखिरकार वह ताऊ का शव गांव ले आया। कोरोना व प्रशासन के खौफ़ के कारण गांव में भी लोग सांत्वना तक व्यक्त करने उसके ताऊ के घर नहीं आये । वहीं पड़ोस में चिरंजी लाल की पत्नी रजनी अपने पति व बच्चों को समझा रही थी कि पड़ोस में छोटी मोटी बात होती रहती है लेकिन कोई दुश्मनी थोड़ी हो जाती है। सविता की पूरी फैमिली क्वारन्टीन है ऐसे में पड़ोसी होने के नाते हमारा फर्ज है कि हम अशर्फीलाल का विधि विधान से अंतिम संस्कार कराएं। अगले ही पल चिरंजीलाल अपने चारों बेटों के साथ पूरी सावधानी बरतते हुए अशर्फीलाल की अर्थी को कान्धा देने पहुँच गये । शमशान की दीवार से सिर टिकाए विनोद अपने ताऊ की चिता को जलते देख रहा था। अचानक उसके मुंह से निकल पड़ा - किसी ने सच ही कहा है सौ गोती एक पड़ौसी बराबर होता है।
✍️कमाल ज़ैदी 'वफ़ा'
प्रधानाचार्य, अम्बेडकर हाई स्कूल बरखेड़ा (मुरादाबाद)
सिरसी (सम्भल)
9456031926
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