मंगलवार, 26 मई 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की लघुकथा ------ थकान


दोपहर का 1बजा था । जेठ की झुलसाने वाली गर्मी में सुबह से पत्थर तोड़ते कैलाश का हाल बेहाल हो चुका था।थकान और भूख प्यास के भाव उसके चेहरे पर स्पष्ट पढ़े जा सकते थे ।उसने सोचा ----- खाना खाकर थोड़ी देर आराम कर लेते है।
तभी उसे ध्यान आया - अरे आज तो उसकी शादी की सालगिरह है।सुबह घर से निकलते समय उसकी पत्नी ने जबरदस्ती 10 रुपए का नोट उसकी जेब में डाल दिया था।साथ में अपनी कसम दिलाकर कहा था ---आज सूखी रोटियां मत खाना,बाज़ार से दही खरीद लेना ।
        दही लाकर वो एक पेड़ के नीचे बैठ गया।खाना शुरू ही करने वाला था कि उसकी नजर अपने साथी मजदूर रामू पर गई,   -- अरे,तुम खाना नहीं खा रहे।
        नहीं,घर में बीबी बीमार है,सब पैसा उसके इलाज में लग गया।राशन ख़तम हो गया ,कल से कुछ नहीं बना -- रामू ने रोते हुए बताया।
    कैलाश ने अपने खाने को दो हिस्सों में बांटा और रामू के मना करने के बावजूद,जबरदस्ती उसे अपने साथ  खाना खिलाया।                                                     
खाना खाकर रामू के चेहरे से संतोष झलक रहा था।कैलाश की थकान भी रफूचक्कर हो गई थी ।दोनों फुर्ती से उठे और अपने काम पर लग गए ।

 ✍️ डॉ पुनीत कुमार
T-2/505,आकाश रेसीडेंसी
मधुबनी पार्क के पीछे
कांठ रोड,मुरादाबाद -244001
M-9837189600

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