शुक्रवार, 29 मई 2020

वाट्स एप पर संचालित समूह "साहित्यिक मुरादाबाद" में मंगलवार 26 मई 2020 को आयोजित बाल साहित्य गोष्ठी में शामिल मुरादाबाद मंडल के साहित्यकारों सर्वश्री जितेंद्र कमल आनन्द, प्रीति चौधरी, वीरेंद्र सिंह बृजवासी, डॉ अर्चना गुप्ता, सीमा रानी, डॉ पुनीत कुमार , अशोक विद्रोही, शिव अवतार रस्तोगी सरस, श्री कृष्ण शुक्ल, डॉ प्रीति हुंकार , स्वदेश सिंह, कमाल जैदी वफ़ा, रामकिशोर वर्मा, मनोरमा शर्मा, राजीव प्रखर और अंदाज अमरोहवी की कविताएं तथा नृपेंद्र शर्मा सागर की कहानी ------


 आओ राजू , आओ श्यामू!
आओ , चलो बरसा मनायें !!

पानी बरसा रिमझिम-रिमझिम
बूँदें चमकी चमचम-चमचम  ,
मेंढक बोला टर्-टर्-टर्टर -----
हम सब में है दमदम-दमदम ,
आओ राजू, मेरे बाजू!
हम भी कोई गीत सुनायें !!

कोयल ने भी छेड़ी तान ,
शुरू किया कौए ने गान;
भालू ने फिर ढोल बजाया,
नाचा रामू कहना मान  !
आओ काकू, आओ चाचा
गायें खुद भी और गवायें !!

✍️जितेन्द्र कमल आनंद
साईं विहार कालोनी
रामपुर
उत्तर प्रदेश , भारत
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***सबसे प्यारा बचपन

बचपन की दुनिया कितनी यह निराली है
तोतली जुबां में खुशियों की कहानी है

छल और कपट से होती है कोसों दूर
बचपन की वो बातें होती सुहानी है

महकता है घर का आँगन , कोना-कोना
गूँजती उसमें जब बच्चों की किलकारी है

तरोताज़ा करतीं हर हफ़्ते रचनाएं
मंगलवार बाल गोष्ठी यह सुखकारी है

गुड्डे-गुड़ियाँ सँग में छुक-छुक रेल चलाएं
तोता  मैना के किस्से अब भी जारी हैं

पढ़े और मिले बचपन से अपने किस्से
लिखें बाल रचना ये प्रार्थना हमारी है
                               
  ✍️  प्रीति चौधरी
  गजरौला,अमरोहा
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मैंनें   तुमको  बोला  अम्मा
चंदा  के   घर   जाने    को
लेकिन तुम तैयार नहीं  हो
हाथ  पकड़  ले  जाने  को।
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रोज़ बहाना करके मुझको
तरह-तरह   समझाती  हो
पापा की गाड़ी  खराब   है
कह  करके  बहलाती   हो
कहतीं पापा फोन  कर रहे
मैकेनिक    बुलवाने    को।

आज कह रही हो  सर्दी है
कल  कह  देना   गर्मी   है
फिर कह देना बर्फ गिरेगी
अच्छी    सर्दी    गर्मी    है
चंदा  मामा  को  ही बोलो
जल्दी  से   घर  आने  को।

छोड़ो कार वार को अम्मा
मेरी    गाड़ी    पर    बैठो
धीरे - धीरे    हम   पहुंचेंगे
चंदा  मामा   के  घर   को
फ्रूटी, चॉकलेट  रख लेना
रस्ता   सरल  बनाने   को।

समझ गया चंदा मामा भी
अम्मा   से   डर   जाते  हैं
इसीलिए  तो डर  के  मारे
बादल  में  छुप   जाते   हैं
अम्मा तुमने  बोला इनको
अनायास  छुप  जाने  को।

मुन्ना कुछ दिन चंदा मामा
तुम्हें   नज़र   ना   आएंगे
वह अपने घटने बढ़ने की
सारी    कला    दिखाएंगे
खूब  बड़े  होकर  आएंगे
अपने  घर  ले  जाने  को।
       
✍️  वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद
मोबाइल फोन नम्बर- 9719275453
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#भगवान को चिंटू की चिट्ठी                 

सेवा में ,
भगवान जी

मैं आपका अपना चिंटू, मैं आजकल अपने घर में हूँ और ठीक ही हूँ। उम्मीद है आप भी अपने मन्दिर में ठीक ही होंगे।
भगवान जी, आप तो जानते ही हो कि हम हर साल गर्मी की छुट्टियों में नानी के घर जाते थे।हम वहाँ खूब आम जामुन लीची और आड़ू खाते थे। हमारे नाना जी का बहुत बड़ा बगीचा है जिसमें आम, अमरूद, आड़ू, लीची, नाशपाती, अनार, चीकू और भी बहुत सारे फलों के पेड़ हैं।
    हमारी नानी कहती थी, "इतने आम खाये हैं अब जामुन भी खाओ, नहीं तो बीमार कर देंगे आम तुम्हें। फिर भी हम जमकर आम खाते थे। जामुन मुझे बिल्कुल भी अच्छे नहीं लगते उनसे मेरे दांत गन्दे हो जाते थे ,फिर भी मुझे जामुन खाने पड़ते थे।
    भगवान जी आपको पता है? इस साल कोरोना के चलते हम नानी के घर नहीं जा पाएँगे। मुझे नानी के घर की बहुत याद आती है। नानी का गाँव कितना सुंदर है। चारों तरफ बाग बगीचे, तालाब और नदी।
     "भगवान जी आप भी तो अपनी नानी के घर जाते होंगे? तो क्या इस बार आप भी मेरी ही तरफ घर में बंद होकर रहोगे? हाँ रहना ही पड़ेगा बाहर आपने कोरोना जो फैला रखा है।
     सुना है आपने अपने मन्दिर भी बंद कर रखे हैं जिससे कोई आपके पास शिकायत लेकर ना आये। भगवान जी हम बच्चों से ऐसी क्या गलती हो गयी जो अपने हमें घरों में कैद करवाकर खुद मन्दिर मरण बन्द होकर बैठ गए।
    ऐसा तो मैं भी कभी कभी करता हूँ जब मम्मी से रूठ जाता हूँ भगवान जी लेकिन मैं तो थोड़ी ही देर में मनाने से  मान जाता हूँ लेकिन भगवान जी आपको तो सारे ही लोग रोज ही मना रहे हैं और अब तो गर्मी भी कितनी बढ़ गयी है भगवान जी मेरा नदी में नहाने का कितना मन होता है इस गर्मी में। भगवान जी आपको भी तो बन्द मन्दिर में बहुत गर्मी लगती होगी ना। पहले सारे लोग जल ले जाकर आपको कितना नहलाते थे।
     भगवान जी, आप इस कोरोना को अब वापस बुला लीजिये ना। भगवान जी, अब लोगों को बहुत सजा मिल गयी है। भगवान जी, देखो नस सभी माफी मांग रहे हैं।इस बार माफ कर दो ना भगवान जी, फिर कोई भी गलती नहीं करेगा। भगवान जी अब सब ध्यान रखेंगे।
माफ कर दो ना भगवान जी।         
 आपका
 चिंटू

✍️  नृपेंद्र शर्मा "सागर"
ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद
9045548008
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***लॉकडाउन
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शेरू बिल्लू कालू टाइगर,
शोर मचाएं भौक भौंककर।

ऐसी भी क्या आफत आई,
क्यों इतनी खामोशी छाई।

कोई नहीं किसी से बोले,
ना ही दरवाजे को खोले।

बच्चे भी स्कूल नहीं जाते,
शोर शराबा नहीं मचाते।

कोई कारण हमें बताए,
सन्नाटे से हम उकताए ।

पास खड़ी थी बिल्ली रानी,
बोली मुझसे सुनो कहानी।

घूम रहा  कोरोना बाहर,
घुस जाये ना घर के अंदर।।

इसीलिए लॉकडाउन लगा है,
घर रहने को कहा गया है।

खतरनाक है ये बीमारी,
मुश्किल में है जान हमारी।

सुन कर हुए सभी चौकन्ने,
अजनबियों पर लगे भौंकने।

✍️  डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद
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 ***चंदा मामा

बिल्ली मौसी सुनो ध्यान से
 घर चंदा मामा के मैं जाऊंगा |
 मामा के घर लड्डू पूरी और
 समोसे जी भर के खाऊंगा |
 मामी से नित नई नई फरमाइश,
बड़े प्रेम से जिद करके मनाऊंगा |

फिर  मामा संग उड़नखटाेले पर
चढ़कर दूर दूर तक जाऊंगा |
वहाँ दूर गगन से तुम्हें देखकर ,
मै जी भर कर तुम्हें चिढाऊंगा |
मेरी प्यारी मौसी सुनाे गौर से ,
 सबकाे जीभर मुँह पिचकाऊंगा |

और जब वापस घर मै आऊँगा ,
 सारे दोस्तों को बढा चढाकर
 वहाँ के किस्से खूब सुनाऊंगा |
 सब मित्राें पर रौब जमाकर,
 कुछ सच्चा कुछ झूठ सुनाकर
 सबका लीडर मै बन जाऊँगा |

✍🏻सीमा रानी
 अमराेहा
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 विप्पु जी शैतान बहुत
जाने किस धुन में रहते
जो भी उनको कहना होता
उसको शोर मचा कहते

चाहें कुछ भी चीज दीजिए
उसको फैंक दिया करते
एक नहीं, मै लूंगा दो
सबसे यही कहा करते

हमको लगता ये आदत
छोड़ नहीं पाएंगे वो
शादी करने जाएंगे तो
लाएंगे दुल्हन भी दो

✍️,- डॉ पुनीत कुमार
T,-2/505
,आकाश रेजिडेंसी
मधुबनी पार्क के पीछे
मुरादाबाद - 244001
M -,9837189600
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***भारत के बच्चे
       
हम भारत के बच्चे ,
अपने खेल निराले हैं
          बड़े-बड़े करतब करके ,
          किस्से रच डाले हैं
    खेल ,कबड्डी
    ,गुल्ली डंडा,
   , मत चूको चौहान,
               ,सांप नेवला,
               ,शेर और बकरी,
               ,मेरा देश महान,
खो-खो,और ,शतरंज के
 मोहरे, देखें भाले हैं
         बड़े-बड़े करतब करके
         किस्से रच डाले हैं
     चक्रव्यूह की कला
     गर्भ में सीखी
     अभिमन्यु ने
              ‌‌ दुर्ग तोड़ना
               सैन्य सजाना
               सीखा वीर शिवा ने
शेरों तक के दांत कभी,
हमने गिन डाले हैं
        बड़े-बड़े करतब कर के,
         किस्से रच डाले हैं
     आरूणी से
     गुरु भक्त,हम
     एकलव्य जैसे  साधक
                    भक्त ध्रुव से अटल
                   रहे और बने प्रहलाद
                    प्रभुआराधक
लवकुश हैं हम,अश्वमेध के अश्व संभाले हैं
बड़े-बड़े करतब करके किस्से रच डाले हैं
           ‌‌
 ✍️ अशोक विद्रोही
                8218825541
         412प्रकाश नगर मुरादाबाद
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 ***प्रार्थना"
हम सब प्रभु से करें प्रार्थना,
जिसने हमें बनाया है।
फूल,फली, फल पत्ते प्राणी
सबमें जिसकी छाया है(१)
जिसने सूरज, चाँद बनाये
तारों को चमकाया है।
जिसने जंगल,नगर बसाये
फूलों को महकाया है। (२)
जिसके कारण वर्षा होती,
पर्वत पर है हरियाली।
मोर नाचते हैं जंगल में
कूक रही कोयल काली। (३)
जो रखता है ध्यान सभी का,
हम उसका गुण- गान करें
प्रात: उठ कर ,हाथ जोड़ कर
आओ उसे प्रणाम करें। (४)

✍️ शिव अवतार रस्तोगी सरस
मुरादाबाद 244001
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बाबा लॉकडाउन खुलवा दो,
सबसे मिलने आना है।
गर्मी की छुट्टी में सबके,
साथ घूमने जाना है।
माह मई का बीत रहा है,
बंद घरों में पड़े पड़े।
रोज सड़क को ताक रहा हूँ ,
बस खिड़की पर खड़े खड़े।।
मेरा मन करता है चलकर,
पैदल पैदल आ जाऊँ।
दादी के संग लूडो खेलूँ,
संग आपके बतियाऊँ।
लॉकडाउन में लगता अब तो,
घर भी जेलखाना है।
बाबा लॉकडाउन खुलवा दो,
सबसे मिलने आना है।

✍️  श्रीकृष्ण शुक्ल,
MMIG - 69,
रामगंगा विहार,
मुरादाबाद।
मोबाइल नं. 9456641400
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***** नानी मां की प्यारी गइया

प्यारी सी मेरी ननिहाल
प्यारी सी  है नानी मईया।
मीठा -मीठा दूध पिलाती ,
नानी मां की प्यारी गइया।
कपिला उसका नाम रखा है,
हरी घास उसको पसंद है ।
देख के अपना छोटा बछड़ा ,
वो मुस्काती मंद- मंद है।
रंभा -रंभा के पानी माँगे,
बंधी नीम की शीतल छैया।
नानी मां की,,,,,,,,,
इसके बछड़े बैल बनेंगे ,
खेतों में फिर काम करेंगे।
नही अन्न की कमी रहेगी ,
खलिहानों में पर्व मनेंगे।
खुशहाली घर- घर में होगी,
झूम उठेंगे कृषक भइया।
नानी मां की,,,,,,,,,,,,,,,,

✍️ डॉ प्रीति हुँकार
मिलन विहार
मुरादाबाद।
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*गुड़िया रानी*

मेरी  गुड़िया  हुई बीमार
सौ डिग्री उसे चढ़ा बुखार

मम्मी जल्दी फोन लगाओ
डॉक्टर  को तुरन्त  बुलाओ

डॉक्टर अंकल सुनो  पुकार
मेरी गुड़िया का करो उपचार

मीठी गोली उसको भायें
सुई देख  रोने लग जायें

कल बरसा रिमझिम पानी
 भीग गई थी गुड़िया रानी

 ✍️स्वदेश सिंह
सिविल लाइन्स
 मुरादाबाद
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                                                                  बहुत याद आता है पिछला ज़माना,
वो लड़ना लड़ाना वो उधम मचाना।                                      बहुत यादआता है----
कभी रूठ जाना कभी मान जाना,
सदा अपनी च्वाइस का ही लंच  खाना ।
                बहुत यादआता है---
वो कपड़े पहनकर के टाई लगाना,
चमकदार जूते पे पालिश कराना।
              बहुत याद आता है -----
वो कालू के घर जाके घण्टी बजाना,
ठहाका लगाकर तुरत भाग जाना।
               बहुत याद आता है----
छिपाकर जो रखती थी अम्मा मलाई,
वो चुपके से जाकर मलाई का खाना।
               बहुत याद आता है--
वो नन्हू के इंजन पा जाकर नहाना,
उछलना, फिसलना,वो गिरना गिराना।                                   बहुत याद आता है----
 वो अम्मा के बटुवे से पैसे चुराना,                         पिताजी के डंडे की फिर मार खाना ।                                   बहुत याद आता है-----
वो कोठे पा जाकर पतंग का उड़ाना,
पतंग कट जो जाये तो लंगर लड़ाना।
              बहुत याद आता है-----
रवि से जो कल हमने कुट्टी करी थी,
हुई जब सुबह तो उसे भूल जाना।
             बहुत याद आता है------
                                                                       ✍️ कमाल ज़ैदी "वफ़ा"
सिरसी (सम्भल)
9456031926
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*बस्ता लेकर घर जाते जब*

घंटी जब टनटन बजती है ,
बंद पुस्तिका को करती है ।
मन का कमल खिला हो जैसे
पढ़ने से छुट्टी मिलती है ।।

संगी-साथी हंसते-गाते
बस्ते को कंधे पर लाते।
घर की ओर चलें जब हम सब
नदिया पर हम सब रुक जाते ।।

कागज की सब नाव बनाते
नदिया में फिर उसे बहाते ।
किस की नाव डूबती देखो
राम नाम भी जपते जाते ।।

तैरी जिसकी नाव दूर तक
आंखें रहतीं उसी छोर तक।
ताली मिलकर सभी बजाते
नौका ओझल हो जाने तक ।।

कागज का वह नाव बनाना
आपस में हिलमिल टकराना।
बदल गयी अब दुनिया सारी
याद झरोखे से कुछ आना ।।

✍️ राम किशोर वर्मा
  रामपुर
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प्यारे -प्यारे सूरज दादा ,मन को तुम सरसाते हो
मन्द पवन के पंखों पर जब,अपना रथ दमकाते हो ।
नई सुबह का नया उजाला,जग को तुम दे जाते हो
तेज तुम्हारा प्रखर है दादा,अंशुमान कहलाते हो ।
क्यूँ नाक पर गुस्सा रहता,दादागिरि दिखाते हो
ऐसा लगता है मुझको तो ,डांट बहुत तुम खाते हो ।
हाथ आग का गोला लेकर,घनचक्कर बन जाते हो
दादा आग बबूला होकर ,अब तो हमें डराते हो ।
भूख-प्यास सेअकुलाए तुम ,जग में क्या ढूंढ रहे हो
हरियाली से घिरे हुए किस,कानन को खोज रहे हो ।
टीचर कहती है मेरी,तुम,बड़े-बड़े वृक्ष उपजाओ
नदियों की कल-कल धारा से,दिनकर की प्यास बुझाओ ।
प्रकृति से खिलवाड़ करे कोइ,कतइ न तुमको यह भाता
इसीलिए क्रोधित होते हैं,गुस्सा नाक पर आता ।प्रातःसुबह नहाकर मैं भी,करता हूँ अर्पण मीठा जल
वन्दन तुमको हे हरि देना ,आशीर्वाद सबको निर्मल ।
न्यारे-न्यारे सूरज दादा ,नवजीवन तुम देते हो
धरती के कण-कण में फिर से ,उल्लास नया भर देते हो ।।

✍️  मनोरमा शर्मा
अमरोहा
मोबा.नं.-7017514665
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:::::प्रस्तुति:::::
डॉ मनोज रस्तोगी
8, जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 9456687822

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