गुरुवार, 14 मई 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रामकिशोर वर्मा की लघुकथा------- लॉकडाउन में छूट


     कोविड-19 के कारण लॉक डाउन में रहते-रहते अब आदत सी पड़ गयी है । सभी घरों में बंद हैं । सभी काम बन्द हैं । पर्यावरण स्वत: शुद्ध होने लगा है । समाज में अपराध थम गये हैं ।                       असामाजिक तत्व भी तो आखिर इंसान हैं । मौत से उन्हें भी डर लगता है । कोरोना के भय ने आतंकियों के भय को मात कर दिया है ।
   लॉक डाउन में छूट क्या दी ! सरकार ने तीन महीने से प्यासे लोगों के लिए सबसे पहले मदिरालय खोल दिये । मंदिर इसलिए नहीं खोले कि वह तो भगवन भजन आप घर बैठे भी कर लेते हो ।
   अरे ! टी वी पर यह क्या समाचार आ रहा है ? लॉक डाउन से पहले की तुलना में लॉकडाउन के दौरान अपराधों में बहुत कमी आयी है । मैंने सोचा - " कोरोना के भय ने चोर-डकैतों और अपराधी प्रवृत्ति के लोगों पर अंकुश लगा रखा है ।"
   मगर लॉकडाउन के दौरान "कोरोना वारियर्स अर्थात् डॉक्टर, नर्स और पुलिस" पर हमला, पत्थरबाजी और बदतमीजी के अपराध ही घटित हुए ।
   अब सरकार ने ग्रीन जोन के लोगों के लिए अपने ही शहर में आने-जाने में और काम-काज में काफी छूट दे दी है । मेरा सिर घूम गया ।
     लॉक डाउन में मैं अपने शहर व प्रदेश से काफी दूर अपने बेटे के घर दूसरे शहर व प्रदेश में फंँस जाने के कारण निश्चिन्त होकर रह रहा था । घर पर ताला लगाकर आया था । पड़ौसी से घर का ध्यान रखने को कह आया था ।
   अभी टी वी समाचार में देखा कि शराब पीकर किसी ने आत्महत्या कर ली । महिलाएं शराब के विरोध में प्रदर्शन कर रही हैं ।
     अब जब लॉक डाउन में छूट दी गयी है तो मुझे भी अपने बंद घर की चिन्ता होने लगी है । क्योंकि सरकार ने सभी को अपने कामधंधो को करने में छूट जो दे दी है ।
        भगवान मेरे घर का ताला सही सलामत रहे ।

 ✍️ राम किशोर वर्मा
 जयपुर (राजस्थान)

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