मंगलवार, 26 मई 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार श्री कृष्ण शुक्ल की लघु कथा -----अम्मा की गड़बड़


         सीताराम सीताराम सीताराम कहिए, जाहि बिधि राखे राम बाही विधि रहिए, रोज की तरह अम्मा बाथरूम में भजन गुनगुना रही थीं, अचानक अम्मा की आवाज आनी बन्द हो गई, थोड़ी देर बाद कमल को चिन्ता हुई, सीमा भी बोल पड़ी जरा बाथरूम में देखो तो.
कमल दौड़कर गया, देखा अम्मा बेहोश पड़ी थीं.
तुरंत डाक्टर बुलवाया गया. डाक्टर की सलाह पर अम्मा को अस्पताल में भर्ती कराया.
कमल रुँआसा सा डाक्टर के पास गया. डाक्टर बोला.देखो ये शुगर लेबल कम हो गया है और ये हाइपरग्लोसीमिया में चली गई हैं. जीवन को पूरा खतरा है.
हम 48 घंटे ऑब्जर्वेशन में रखेंगे,  उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
कमल ने सभी भाई बहिनों को फोन कर दिया.
शाम तक सभी आ गए।
एकदम से क्या हो गया, कैसे हो गया, सबके जबाब देते देते कमल और सीमा परेशान हो उठते.
सब लोग एक बार अस्पताल जाकर अम्मा को देख आते और फिर दिन भर घर में मेहमान की तरह रहते. सीमा घर में मेहमाननवाजी करते करते और कमल अस्पताल के चक्कर लगाते लगाते चुपचाप सबकी बातों को सुनते रहे.
ईश्वर की कृपा से चार दिन बाद अम्मा को होश आ गया और पाँचवें दिन अम्मा घर आ गईं. सब बड़े खुश होगए और अम्मा के पास बैठकर देर रात तक सब बच्चे बड़े हँँसी ठट्ठा करते रहे.
रात के बारह बजे तक सब अपने अपने कमरे में सोने चले गए.
कमल भी अम्मा को दवाई देकर अपने कमरे की ओर जा रहा था कि बड़ी भाभी के कमरे से आवाज सुनकर रुक गया.
भाभी और भैया में बात चल रही थी. इतना शोर मचाकर सबको बुला लिया, कुछ भी नहीं हुआ. हम तो दस दिन की छुट्टी ले आए थे. सोच रहे थे सब निपटा कर जाएंगे. अम्मा ने गड़बड़ कर दी.
कमल किंकर्तव्यविमूढ़ सा अपने कमरे में आ गया. बार बार उसके जहन में यही बात घूम रही थी, अम्मा ने गड़बड़ कर दी.

✍️  श्रीकृष्ण शुक्ल,
MMIG-69, रामगंगा विहार,
मुरादाबाद, उ.प्र.।
मोबाइल नं. 9456641400

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