मंगलवार, 26 मई 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रीति हुंकार की लघुकथा -----बेबसी


      बुलाको काकी के पति सत्ताइस साल की उम्र में चार बच्चों के साथ उन्हें इस संसार अकेला छोड़ चल बसे ।काकी ने खेतों में धान गेहूं काट  कर बच्चों को जवान कर दिया ।दोनों लड़कों औऱ दो लड़कियों का विवाह किया ।विवाह के बाद दोनों लड़कियां ससुराल की होकर  रह गई।बीमार मां ने बुलाया तो भी नहीं आई।दोनोंं लड़कोंं की बहुएं अपने आदमियों के संग दिल्ली चली गई । फिर इन्हें याद नहीं आया कि इनकी बूढ़ी अम्मा गांव में पड़ी है।
आज एक लंबे अरसे के बाद विश्व  व्यापी आपदा के चलते जब सारे काम धंधे बंद हुए तो एक बार फिर अम्मा की याद आई । चल पड़े उसी ओर जहाँ काकी की आंखें वर्षो उनका इंतजार करते- करते थक गई थीं ।आज अचानक सब आये तो उसे लगा कि शायद उसके बेटे बहु को उसकी याद आई होगी ,तभी वे भागे चले आये। काकी के शरीर में फिर वही ताजगी उमड़ने लगी  लेकिन वह नहीं जानती थी आज अगर यह आपदा न आती तो  उसके बेटे बहु कभी इस ओर अपना रुख न करते ।

✍️ डॉ प्रीति हुँकार
 मुरादाबाद 244001

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