गुरुवार, 7 मई 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार इला सागर रस्तोगी की कहानी ------ अनुचित शर्त


"क्या कह रही हो मम्मी आप अजय के घरवाले चाहते है कि मैं कौमार्य परीक्षण कराऊं.........." अंकिता भर्राती आवाज में बोली।
अंकिता की माँ मीना ने समझाते हुए कहा "करा ले न बिटिया क्या जाता है इसमें तेरा। देख हम तो जानते ही हैं कि तू पवित्र है पर अजय के घरवालों का भी तो विश्वास करना आवश्यक है।"
अंकिता ने मां की ओर उम्मीदभरी नजरों से देखते हुए पूछा "क्या अजय भी.........?"
 मां ने उत्तर दिया "हाँ बिटिया, अजय भी यही चाहता है।"
अंकिता ने अगला प्रश्न किया "लेकिन हर संभव जगह से तो उन्होंने मेरी इन्क्वायरी निकलवाई ही ली, चाहें आफिस हो या घर या पीजी, फिर भी विश्वास नहीं हुआ।"
तभी अंकिता के पिताजी आनंद कमरे में प्रवेश करते हुए बोले "बिटिया मुझे भी बुरा लगा सुनकर और मेरा मन किया कि मैं उन्हें रिश्ते से ही मना कर दूं परंतु यदि अगला और उसके अगला रिश्ता भी यह शर्त रखेंगे तो......?"
मीना बोली "बिटिया यह समाज ही ऐसा है जहां सती सी सीता को भी न जाने कितनी ही परीक्षायें देनी पड़ी थी जबतक वो पृथ्वी की गोद में न समा गईं। तू तो फिर भी बस एक मानव है.......कहते कहते मीना दुखी हो उठी।"
अंकिता ने उत्तर दिया "ठीक है मम्मी पापा मैं तैयार हूं।"
कौमार्य परीक्षण का परिणाम आशानुसार सही आया। धूमधाम से अंकिता और अजय का विवाह भी हो गया। परंतु अब अंकिता को नौकरी जारी रखने की आज्ञा नहीं थी।
विवाह के फोटोज़ देखते हुए अजय अपनी महिला मित्रों का इन्ट्रोडक्शन बता रहा था। तब अंकिता ने भी अपने महिला एवं पुरुष सहकर्मियों का इन्ट्रोडक्शन कराया तो अजय क्रोध से लाल होता बोला "बड़े शहर में अकेले रहकर नौकरी करती थी, घर से अलग पीजी में रहती थी, ऑफिस में न जाने कितने ही पुरुष सहकर्मी थे और कहती हो तुम पवित्र हो। वो तो मैंने शादी कर ली वरना तुम जैसी आवारा लङकी से कौन शादी करता।"
और अब अंकिता को अपनी हर छोटी बड़ी गलती पर यह ताना अवश्य ही सुनने को मिलता था।
एक वर्ष पश्चात अजय की छोटी बहन अनीता के रिश्ते की बात शुरू हो गई। वह दिल्ली शहर में रहकर नौकरी करती थी। जिसके साथ वो लिव-इन रिलेशन में पाँच वर्षों से थी उसने शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया था।
एक बहुत अच्छे एवं सम्भ्रान्त घर के लङके वालों ने उसे पसन्द कर लिया परन्तु कौमार्य परीक्षण की शर्त रख दी गई थी। सभी जानते थे कि अनीता तो इस परीक्षण में अवश्य ही फेल हो जाएगी अतः उन्होंने इस परीक्षण को
अत्याचारपूर्ण अनुचित शर्त की संज्ञा दे दी।
अजय बोला "मेरी बहन कोई सीता नहीं है जो उसे बार-बार परीक्षाओं से गुजरना पड़े। हमें उस पर पूरा विश्वास है और आपकी यह शर्त हमें बिल्कुल मंजूर नहीं है। आप रहने दीजिए मैं अपनी बहन के लिए दूसरा और अच्छा वर ढूंंढ लूंगा।"
वह दृष्टांत समक्ष घटते देखकर अंकिता सोच रही थी कि क्या यह वही अजय है जिसने स्वयं उसके लिए कौमार्य परीक्षण की शर्त रखी थी।


✍️  इला सागर रस्तोगी
 मुरादाबाद 244001
 मोबाइल फोन नंबर -- 7417925477

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