मजदूरों की व्यथा- कथा तो कहने वाले बहुत मिलेंगे
पर उनके संघर्ष में आना यह तो बिल्कुल अलग बात है
कितना उनका बहे पसीना
कितना खून जलाते हैं
हाड़ तोड़ मेहनत करके भी
सोचो कितना पाते हैं
मजदूरों के जुल्मों- सितम पर चर्चा रोज बहुत होती है
उनको उनका हक दिलवाना यह तो बिल्कुल अलग बात है
मानव है पर पशुवत रहते
यही सत्य उनका किस्सा है
रोज-रोज का जीना मरना
उनके जीवन का हिस्सा है
उनके इस दारुण जीवन पर आंसू रोज बहाने वालों
उनको दुख में गले लगाना यह तो बिल्कुल अलग बात है
है संघर्ष निरंतर जारी
यह है उनका कर्म महान
वे ही उनके साथ चलेंगे
जो समझे उनको इंसान
एक दिन उनको जीत मिलेगी पाएंगे सारे अधिकार लेकिन यह दिन कब है आना यह तो बिल्कुल अलग बात है
✍️ शिशुपाल "मधुकर"
मुरादाबाद 244001
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