मधुशाला खुलने के कारण देख देख गड़बड़झाला
मचल रही है आज लेखनी करने को कागज काला।
देख रही है जैसा जग को वैसा ही यह लिखती है। तत्पर है फिर से लिखने को,सरस सुहावना मधुशाला।
लॉकडाउन के इस टाइम में कैसा अचरज कर डाला।
कोरोना से पीड़ित रोगी पी सकता है मधु प्याला।
उसको तो वैसे भी मरना, पर संतोष रहेगा यह ।
मरने से पहले मैं फिर से ,देख सका था मधुशाला।
सुधा शहद मकरंद मुलैठी, माखन मिश्री मधु बाला।
छंद राग ऋतुराज दूध घृत, यह थी अर्थों की माला ।
इतने सारे अर्थ भूल कर, एक अर्थ बस याद रहा
उस अनर्थ को आज सार्थक, फिर से करती मधुशाला।
एक आबकारी विभाग ही, सरकारी इनकम वाला ।आ जाती है आब आप ही, खुले खजाने का ताला ।
एक हाथ है मद्य- विरोधी और एक है विस्तारक ।
इससे दुगुनी और चौगुनी खुल जाती हैं मधुशाला।
✍️ शिव अवतार रस्तोगी 'सरस'
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
शिव अवतार रस्तोगी सरस जी की मधुर मधुशाला का कोई जवाब नहीं ।आपने मधुशाला पार्ट 2 लॉक डाउन के पीरियड में ऐसी रच डाली कि अनायास वाह-वाह मुँँह से निकल पड़ता है ।बहुत-बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंरवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा ,रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451
सही कह रहे हैं आप ।
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ।
हटाएं२०१३में 'अभिनव मधुशाला'के परिवर्धित संस्करण की अगली कड़ी ।बधाई।इसी प्रकार इस आन्दोलन को ऐसे ही निरन्तर बनाए रखिएगा ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
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