"अजीब बात है आखिर कब खत्म होगा ये लॉकडाउन" झुंझलाते हुए गरिमा बोली।। "आज चालीस दिन हो गये हैंं। लोगो की लापरवाही से मरीज रोज सामने आ रहे हैं। सभी को परेशानी है मगर क्या करेंं।जीवन बचाना है तो घर ही रहना है "ईश्वर जाने आगे क्या होना है" बड़बड़ाती हुई कमरे का सामान व्यवस्थित कर बाहर आयी।
सासूमां आँगन मे बैठी पापड़ बना रही थींं। एकबार को गुस्सा आया कि रोज नया काम लेकर बैठ जाती हैं फिर सोचा बच्चे भी तो पापड़ पसंद करते हैंं,चलो कुछ देर हाथ बंटाती हूँ।वरना तो सुबह शाम ड्यूटी के बाद औपचारिकता होती है।
वह पटरा लेकर सासूमां के पास बैठ गयीं।"मै कुछ करुंं मां।"
हाँ 'ले पेडे़ बना दे।"
पेडे़ बनाते हुए बोली,"आपको लॉकडाउन मेंं कोई परेशानी नहीं होती मां।
वह मुस्कुरा कर बोली,"ये तुम्हारे लिए होगा लॉकडाउन हमारी तो दिनचर्या है।तुम 40दिन के लॉकडाउन से परेशान हो।हमने तो पूरी जिंदगी लॉकडाउन मे ही काटी है"।
"मतलब" गरिमा बोली
मतलब कुछ नहीं बेटा।6वर्ष कीआयु मे पिता की मृत्यु के बाद दादाजी के घर मे लॉकडाउन लगा।10वर्ष के बाद 16साल की आयु मेंं बिना पूछे शादी कर दी गयीं।ससुराल मे तुम्हारे बाबूजी 6भाई थे।पांच जेठानिया सासूमां के होते द्वार तक जानेकी अनुमति नहीं थी।ससुराल का मुख्य दरवाजा कई साल तक पार नहीं किया।जेठानियों के जाने के बाद भी उसे घर से बाहर निकलने की अनुमति नहींं थी।जानती हो पहली बार गुडि़़या के स्कूल जाना पडा वो भीतब जब तुम्हारे बाबूजी शहर मेंं नही थे।उनकी अनुमति के बाद।मुझे रास्ता कहाँ पता था गुडिया के पीछे पीछे चली थी।आजतक भी तूमने देखा होगा इनके या मुन्ना के साथ ही जाती हूँ।मंदिर तक पड़ोस की भाभीजी के साथ ही भेजते है।इसलिए ये चंद दिनों का लॉकडाउन से क्या फर्क होगा।ये आजीवन का लॉकडाउन है"।
सासु माँ के लॉकडाउन की नयी परिभाषा सुनकर वह हतप्रभ रह गयी।।
✍️ डा.श्वेता पूठिया
मुरादाबाद 244001
मोबाइल फोन 9412235680
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