इधर सरकार
पृथकता और स्वच्छता का पाठ पढ़ाती रही
घर के अंदर रहना
और बार बार हाथ धोना सिखाती रही
सनिटाइज करती रही
शहर का कोना कोना
उधर कुछ मजदूरों को पड़ गया
जीवन से हाथ धोना
वे मजदूर थे
घर से,परिवार से बहुत दूर थे
भूख प्यास और भविष्य की चिंता से
उनकी हड्डियां हिल रही थीं
सहायता और सहानुभूति
सिर्फ कागजों पर मिल रही थीं
पारिवारिक मोह में
वे इतना अधिक मगरूर हो गए
पास आने को निकले थे
हमेशा के लिए दूर हो गए
चाहते थे,बिखरते जीवन को
पटरी पर लाना
नहीं जानते थे
बन जाएगा वो अंतिम ठिकाना
उनका ये बलिदान
व्यर्थ नहीं जाना चाहिए
हम सबको मिलकर
उनके,और सही अर्थों में अपने
अस्तित्व को बचाना चाहिए
✍️ डॉ पुनीत कुमार
T-2/505, आकाश रेसीडेंसी
मधुबनी पार्क के पीछे
कांठ रोड,मुरादाबाद -244001
M -9837189600
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