शनिवार, 2 मई 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ मीना नकवी की गजल ------ दिन का वध करने वालों ने रात की हत्या कर दी है। चाँद खरीदे धनवानों ने ,आज अमावस घर घर है।।


धूप के कपड़ो पर सिलवट है, मैला मैला  दिनकर है।
उपवन सारा मुरझाया है,  जंगल जंगल पतझर है।।

जाने कैसा जादू टोना,डाल दिया है ऋतुओं ने।
हरियाली का जो वाहक था, छाँव-रहित वह तरुवर है।।

लेखन के स्वर मौन हुये हैं, ध्वनि हीन  हैं अक्षर तक।
एक कोलाहल मन के बाहर, एक कोलाहल भीतर है।।

दिन का वध करने वालों ने रात की हत्या कर दी है।
चाँद खरीदे धनवानों ने ,आज अमावस घर घर है।।

ऊब के एकाकीपन से जब , झाँका है उसके मन में।
ऐसा लगा आँखों में उसकी निर्मल प्रेम का सागर है।।

त्याग की वर्षा तिरोहित है, और मेघ घिरे हैं निज हित के।
कुंठित है संवेदन शक्ति, भूमि भाव की बंजर है।।

लेखन धर्म है भक्ति-भाव से , पूर्ण समर्पण है कविता।
शब्द मेरे रह जायें 'मीना' यह काया तो नश्वर है।।
 
✍️ डा. मीना नक़वी

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