गुरुवार, 7 मई 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार अरविंद कुमार शर्मा आनन्द की लघुकथा ----- महामारी एक साजिश


वक्त जैसे थम सा गया था। पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ था। एक महामारी, एक साज़िश…! हाँ दोस्तों साज़िश!  इसलिए क्योंकि बहुत से सबूत उसी ओर संकेत करते हैं।
जिस जगह से इसका जन्म हुआ, या कहूँ जहाँ से इस महामारी की शुरुआत हुई थी। हर परिवार, हर व्यक्ति, हर मोहल्ला, हर गली और वो सभी सड़कें जो कभी लोगों से खचाखच भरी रहती थीं,  जिनमें लोगों का शोरगुल होता था। वह सब आज सन्नाटों की गोद में कहीं खो गया था। वो सन्नाटा जाने क्या कहता था, ये कोई समझ नहीं पा रहा था। उसको भी बस यही समझ आ रहा था कि इन सुनसान रास्तों से एक मौत की अदृश्य शक्ति अपना तांडव करते हुए गुजर रही है, और जो भी उसके रास्ते में आयेगा, वो सीधे परलोक जाने की सीढ़ियों पर अपना पहला कदम रखेगा।
 ऐसी ही भयावह संकट की घड़ी में ईश्वर ने उसकी भी परीक्षा लेने की ठान ली। या यूँ कहूँ आज से उसकी भी उस मौत के अदृश्य राक्षस से जीवन और मृत्यु की एक जंग शुरू हो चुकी थी।
आज 19 दिन बाद उसको घर से निकलना पड़ा क्योंकि उसके पिता एक गंभीर बीमारी से ग्रसित हो गए थे। कहीं  कोई व्यवस्था नहीं, कोई साधन नहीं, वह बहुत ही परेशान, निराश और क्रोधित हो रहा था। आखिर देश में, ये सब क्या हो रहा है?
जैसे-तैसे वह और उसका छोटा भाई दोनों अपने पिता को अस्पताल लेकर पहुँचे, जहाँ से डॉक्टरों ने उन्हें दूसरे अस्पताल में भर्ती करने को कहा।
 इतना सुनते ही वह अब ज्यादा डर चुका था, क्योंकि इस वक्त देश के जैसे हालात थे, उसमें एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल और ऊपर से उस भयंकर महामारी का प्रकोप! सोचकर ही मन दहल जाता था। इस भयंकर परिस्थिति में। उसको सोच समझकर बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय लेना था और उसने निर्णय ले लिया, क्योंकि उसके पास कोई और रास्ता भी न था।
अगर वह दूसरे अस्पताल नहीं जाता है तो भी उसके पिता की जान को खतरा है और जाता है तब भी खतरा है।
आखिरकार वह अपने मन को मजबूत करके अपने पिता के लिए उस क्रूर, अदृश्य, राक्षस से जंग लड़ने को तैयार हो गया।
दिन बीत रहे थे परन्तु एक चिंता की लकीर उसके माथे से हटने का नाम नहीं ले रही थी। एक तरफ उसके पिता अपनी बीमारी से जंग लड़ रहे थे तो इधर वह इस महामारी से बचने को। आज 20वां दिन हो गया। वह अपने पिता को बीमारी से ठीक कराकर घर ले आया है और वह भी उस महामारी से जंग जीत कर अपने घर आ गया।
उसका विश्वास जीत गया, उसकी सावधानियां उसकी रक्षा-कवच बनीं।

  ✍️ अरविन्द कुमार शर्मा 'आनंद'*
मुरादाबाद 244001
मोबाइल फोन 8979216691

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