रविवार, 29 मार्च 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार एवं संगीतज्ञ अमितोष शर्मा की गजल --सबको मालूम है बाहर की हवा है क़ातिल | यूँ ही क़ातिल से उलझने की ज़रूरत क्या है ||


पेश-ऐ-ख़िदमत है आप सब की पसंदीदा ग़ज़ल मिश्र किरवानी में composed


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