आओ चलो दुश्मने इंसां को मिटा दें ।
रिश्तो को निभाएं चलो नफरत को मिटा दें ।।
हर सिम्त करें चश्मे मोहब्बत के रवां हम ।
हम मुल्क से अपने हर अंधेरे मिटां दें ।।
जब तक ना इजाजत हो रहें घर में ही अपने ।
हम दुश्मने इंसां का हर एक नक्श मिटा दें ।।
घर में ही करें पूजा पढ़ें अपनी नमाजे़ं ।
हम अपने घरों के सभी शैतान मिटा दें ।।
गुरबानी भजन कुरां हर एक घर में रवां हो ।
दुश्मने ईमां की हर पहचान मिटा दें ।।
मिलने में मुहाजिर से रखें फासला बाहम ।
हम दर्दे जिगर के सभी शुब्हात मिटा दें ।।
महफ़ूज़ और मोहतात रहें अपने वतन में ।
हर सिम्त से ख़दशात की दीवार मिटा दें ।।
हम सब्रो सुकूं से रहें बस अपने घरों में ।
बीमारी के हम जिंसो ज़ररात मिटा दें ।।
बस रहमो-करम का तेरे तालिब है मुजाहिद ।
हम अपने वतन पे ये दिलो जान लुटा दें ।।
***मुजाहिद चौधरी
हसनपुर
जनपद अमरोहा
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