रविवार, 1 मार्च 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष ब्रजभूषण सिंह गौतम अनुराग की काव्य कृति सुख से तो परिचय न हुआ की श्री कृष्ण शुक्ल द्वारा की गई समीक्षा ....







भौतिक साधनों और राग अनुराग , सुख दुख की लौकिक अनुभूतियों से घिरे मानव के मन की अभिव्यक्ति को जीवन दर्शन के माध्यम से अध्यात्म की अनुभूति तक ले जाती दीर्घकायी एकल कविता कृति है सुख से तो परिचय न हुआ
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सुख से तो परिचय न हुआ, मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृति शेष ब्रजभूषण सिंह गौतम अनुराग की अंतिम कृति है। श्री अनुराग हिन्दी काव्य जगत के लब्ध प्रतिष्ठ साहित्यकार थे. आपके इससे पूर्व लगभग सत्रह काव्त्र संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें दर्पण मेरे गाँव का तथा चाँदनी नामक दो महाकाव्य भी हैं. आपके काव्य संग्रह सांसों की समाधि का अंग्रेज़ी में अनुवाद भी प्रकाशित हो चुका है।
सुख से तो परिचय न हुआ उनके जीवन काल में ही पूर्ण हो गई थी और प्रकाशन में थी किंतु दिनांक 17 अगस्त 2017 को कवि की ही जीवन यात्रा पूर्ण हो गई। मुझे इस पुस्तक को पढ़ने का सौभाग्य श्री रामवीर सिंह वीर के माध्यम से हुआ, जिन्होंने इस पुस्तक के प्रकाशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
मूलतः, सुख से तो परिचय न हुआ एक दीर्घकायी एकल कविता है।  पूरी कविता प्रतीकात्मक शैली में लिखी गई है। कवि ने साधारण मनुष्य के जीवन के तमाम भौतिक और लौकिक आयामों को जीवन दर्शन से जोड़ते हुए अध्यात्म के दर्शन तक जोड़ने में सफलता पाई है।
इतनी दीर्घकायी रचना में तारतम्यता का अभाव नहीं है तथा कहीं भी ऐसा नहीं लगता कि कविता अपने मूल कथ्य से भटक गई है.
सुख से तो परिचय न हुआ दुख से मेरा नाता है,
कविता के प्रत्येक छंद की परिणति इसी पंक्ति से होती है।

व्यक्ति जीवन भर सुख की लालसा में लगा रहता है किन्तु वास्तविक सुख का अनुभव नहीं कर पाता और निरंतर स्वयं को दुखी अनुभव करता है. कविता का प्रारम्भ ही कवि ने यह उद्घाटित करते हुए किया है कि सब कुछ परम सत्ता ही करती हैः

प्रकृति प्रबंधन जग संचालन, करे परम सत्ता है।
उसकी इच्छा बिना न हिलता कोई भी पत्ता है।
नियतिवाद तो भाग्यवाद हाँ कभी न कहलाता है।
सुख से तो परिचय न हुआ, दुख से मेरा नाता है:


कुछ आगे चलकर वह मानव मन के स्वभाव को वर्णित करते हुए कहते हैं कि हर व्यक्ति सुख की अभिलाषा, तथा प्रेम और आनन्दमय जीवन की लालसा में पुष्प पर मँडराते भँवरे की तरह लगा रहता है लेकिन दुखी ही रहता है:

स्वच्छ सुखी आनंदित रहना है इच्छा हर मन की
करना प्रेम प्रेममय खोना रही कामना उन की।
प्रेम पगा हो मधुप सुमन पर पलछिन मँडराता है।

इसके आगे बढ़कर वह जीवन की चुनौतियों से पार पाने और बड़े लक्ष्य रखकर योद्धा की भांति जीवन यापन का आह्वान करते हुए लिखते हैं।

जीवन लक्ष्य चुनौती देता पार हमें पाना है।
वारिधि अगम गरजता सम्मुख तैर तैर जाना है।
बड़ा लक्ष्य रखने वाला नर योद्धा कहलाता है।


साथ ही वह मानव को सचेत करते हैं कि जीवन लक्ष्य के प्रति हमारी उदासीनता से हमें मिलने वाले सुख भी दुख से ही हो जाते है:

फूल स्वयं खिलते हैं हम केवल पानी देते हैं।
हम मानव जीवन की चादर खुद ही बुन लेते हैं।
उदासीनता में तो सुख भी दुख ही बन जाता है।


उससे भी आगे वह कहते हैं कि सांसारिक राग, अनुराग, तथा जो भी विश्व में दृष्टिमान हैं वह सब भौतिक हैं और जब ब्रह्मचेतना जाग्रत होती है तो उसके प्रकाश में सभी भ्रम दूर हो जाते हैं।

राग और अनुराग सभी तो सचमुच ही भौतिक हैं।
दृष्यमान जो अखिल विश्व में सब कुछ ही लौकिक है।
ज्योति धार प्रज्ञा की फूटे सब भ्रम मिट जाता है।


अंततः इसी परम सत्ता के खेल को और उसकी माया के रहस्य को उजागर करते हुए कवि कहता है, जब व्यक्ति उस रहस्य को जान लेता है और उस निर्झर प्रेम के प्रवाह को अनुभव करता है, तब जीव स्वतः सुधर जाता है।
वस्तुतः वास्तविक सुख से उसका परिचय तभी होता है:

यह सब खेल परम सत्ता का उसकी ही माया है।
ज्ञात नहीं ये माया है या माया की छाया है।
जब खुलते स्यामल रहस्य, यह जीव सुधर जाता है।
सुख से तो परिचय न हुआ, दुख से मेरा नाता है।


इस प्रकार मनुष्य के भौतिक जीवन की सभी गतिविधियों को उस परम सत्ता द्वारा निष्पादित होने के सत्य को परिभाषित करने में, तथा मनुष्य के भौतिक सुख और लालसा की निरर्थकता को दर्शाने में श्री गौतम सफल रहे हैं तथा वास्तविक आनन्द उस परमसत्ता के साक्षात्कार (आत्म साक्षात्कार) में ही निहित है , यह संदेश देने में सफल रहे हैं।
इन्हीं शब्दों के साथ मैं श्री गौतम को श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ, और उनके सुपुत्र श्री मनोज गौतम, जिन्होंने मृत्योपरांत इस कृति को प्रकाशित कराया, को ह्रदय से साधुवाद देता हूँ।

कृति
: सुख से तो परिचय  न हुआ
रचनाकार : स्व.ब्रजभूषण सिंह गौतम अनुराग
प्रकाशक: पार्थ प्रकाशन, दिल्ली रोड, मुरादाबाद 244001
प्रथम संस्करण ; 2018
समीक्षकः श्रीकृष्ण शुक्ल
MMIG - 69, रामगंगा विहार,
मुरादाबाद-244001
उत्तर प्रदेश, भारत


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