गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार सीमा रानी की लघुकथा ----"चार धाम यात्रा "


पैसा पैसा जोड़कर चार धाम की यात्रा करने का इंतजाम किया था सज्जन सिंह ने |घर की माली हालत बहुत अच्छी नहीं थी छोटी सी कृषि से ही बाल बच्चों की पढ़ाई व बाकी खर्च चलता था |पर मन में जीवन में एक बार चार धाम की यात्रा करने का सपना रह रहकर उभरता था तो अपनी छोटी सी आमदनी से यात्रा के खर्च का इंतजाम करने में कई वर्ष लग गये थे |
            यात्रा का खर्च पूरा हो जाने पर सज्जन सिंह बड़े प्रफुल्लित थे कि चलाे अब प्रभु दरबार के दर्शन आसानी से कर सकूंगा और फिर शांति से देह का त्याग भी कर सकूंगा |
             सज्जन सिंह खिड़की के पास खड़े होकर सड़क पर आते जाते लोगों को निहार रहे थे जाने जिंदगी किस धुन में दौड़ लगाती रहती है तभी बराबर वाले वर्मा जी ने आकर बताया कि रहीम भाई के बेटे की तबीयत बहुत खराब है डॉक्टर ने दाे लाख का खर्च ऑपरेशन के लिए बताया है यह सुनकर तो रहीम भाई की बोलती ही बंद हो गई |
वर्माजी की बातें सुनकर सज्जन सिंह अवाक थे क्याेंकि रहीम भाई के घर का इकलौता चिराग उनका बेटा ही था.... |
           अब सज्जन सिंह दुविधा में पड़ गए कि वर्मा जी से तो कह सकता हूं कि मैं उनकी कोई सहायता नहीं कर सकता परंतु खुद से कैसे कहूं कि..... ...?
और यदि ऐसे धर्म संकट में मैने मानव धर्म नहीं निभाया तो क्या मेरी चार धाम यात्रा कुबूल हाे पायेगी इसी द्वन्द में वे पूरी रात सो नहीं सके |
            सुबह सज्जन सिंह बहुत दृढ़ निश्चय व शांत मन से उठकर रहीम भाई के घर पहुँचे और रहीम भाई के कंधे पर हाथ रखकर बाेले घबराओ न रहीम भाई....... |ये लाे दाे लाख और बेटे का ऑपरेशन कराओ |रहीम भाई का गला रूंध गया मुँह से शब्द नही निकल पा रहा था बडी हिम्मत से बाेले सज्जन.... .....|
बस टकटकी लगाकर सज्जन सिंह काे निहारते रहे..... |

✍🏻✍🏻सीमा रानी
अमराेहा 

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